लेखक पंड़ की अपना दुश्मन क्यों समझ रहा था
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बस की जर्जर awastha से लेखक को ऐसा महसूस हो रहा था कि बस कि स्टीयरिंग कही भी टूट सकती है और ब्रेक फेल हो सकता है।एक पेड़ के निकल जाने पर वह दूसरे पेड़ का इंतजार करता था कि बस कही इस पेड़ से ना टकरा जाए। इसलिए लेखक पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।
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