लेखक सपरिवार अतिथि के किस रहस्य को नहीं समझ पा रहे थे
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अब लेखक को अतिथि देवता नहीं राक्षस जैसा प्रतीत हो रहा है। लेखक अपने मन ही मन में अतिथि से कहता है ऐसा लगता है कि कोई ना दिखाई देने वाला कौन से का व्यक्तित्व लेखक के घर में चिपक गया है जिससे अतिथि जाने का नाम नहीं लेता। लेखक इस रहस्य को सपरिवार नहीं समझ पा रहा था।
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