लेखक सपरिवार अतिथि के किस रहस्य को समझ नहीं पा रहे थे ? From Athithi tum kab jaoge , by Sharad Joshi Sparsh Bhag 1 ,class 9
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‘शरद जोशी’ द्वारा लिखित “अतिथि तुम कब जाओगे” व्यंग रचना में लेखक के घर एक अतिथि आता है। लेखक गर्मजोशी से उसका स्वागत करता है, लेखक को लगता है कि अतिथि एक दिन रह कर चला जाएगा। लेकिन दिन बीते जाते हैं और अतिथि जाने का नाम नहीं लेता। अब लेखक को अतिथि देवता नहीं राक्षस जैसा प्रतीत हो रहा है। लेखक अपने मन ही मन में अतिथि से कहता है ऐसा लगता है कि कोई ना दिखाई देने वाला कौन से का व्यक्तित्व लेखक के घर में चिपक गया है जिससे अतिथि जाने का नाम नहीं लेता। लेखक इस रहस्य को सपरिवार नहीं समझ पा रहा था।
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लेखक ने उत्साह और लगन से अतिथि का स्वागत क्यों किया?
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"तुम कब जाओगे, अतिथि" व्यंग्यात्मक पाठ के माध्यम से लेखक क्या शिक्षा देना चाहते हे?
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