लेखक द्वारा बस की चाल, उसकी दशा तथा गाँधीजी के आंदोलन में साम्यता दिखाना कितना उचित है?
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जब लेखक ने बस के चलने पर उसके किसी भी हिस्से का आपसी सहयोग न देखा तो उसे गाँधीजी के 'असहयोग आंदोलन' अर्थात् भारतीयों अंग्रेजों का साथ न देना याद आ गया। और बस का सही रूप में न चलना, बार-बार रुक कर विरोध करना, लेखक को 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' की याद दिलाता है। ... लेखक का कहना पूर्णतया उचित है।
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