लेखक यात्रा से क्यों डरते थे?
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बस की जर्जर अवस्था से लेखक को ऐसा महसूस हो रहा था कि बस की स्टीयरिंग कहीं भी टूट सकती है तथा ब्रेक फेल हो सकता है। ऐसे में लेखक को डर लग रहा था कि कहीं उसकी बस किसी पेड़ से टकरा न जाए। एक पेड़ निकल जाने पर वह दूसरे पेड़ का इंतज़ार करता था कि बस कहीं इस पेड़ से न टकरा जाए।
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कोई भी चीज़ सही ठिकाने पर नहीं थी, घसता हालत हो चुकी थी उसका इंजन आवाज़ कर रहा था। तो इसलिए लोग यात्रा नहीं करना चाहते थे क्योंकि बस बहुत पुरानी हो चुकी थी । उस बस को कुछ परेशानी हो सकती है क्योंकि वह बहुत पुरानी हो चुकी है वृद्ध हो चुकी है। यह बस पूजा के योग्य थी।
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