लिखन बैठि जाकी सबी, गहि गहि गरब गरूर।
भए न केले जगत के, 'चतुर चितेरे कूर।।
Answers
लिखन बैठि जाकी सबी, गहि गहि गरब गरूर।
भए न केले जगत के, 'चतुर चितेरे कूर।।
संदर्भ : यह पंक्तियां कवि बिहारी के अनमोल दोहे की हैं।
भावार्थ : बिहारी कहते हैं कि नायिका के सौंदर्य का चित्रण करने के लिए अनेक प्रसिद्ध चित्रकार आए. लेकिन कोई भी उसके सौंदर्य का सटीक एवं पूर्ण चित्रण नहीं कर पाया। चित्रकार अपनी कृति पूर्ण करने के बाद जब नायिका से उसका मिलान करता तो चित्र में उसे कुछ ना कुछ कमी निकल आती क्योंकि तब तक बहुत कुछ परिवर्तन हो चुका होता था यानी नायिका का सौंदर्य निरंतर बढ़ता ही जा रहा था, और चित्रकार को नायिका के सौंदर्य की तुलना में कोई कमी नजर आती। इस तरह बड़े बड़े चित्रकार आये लेकिन सब मूढमति साबित हुये और नायिका का सही चित्रण नहीं कर पाए।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
संबंधित कुछ अन्य प्रश्न—▼
संगति सुमति न पावहीं, परे कुमति के धधं l
राखौ मेलि कपूर मैं, हींग न होत सुगंध ll
संदर्भ, प्रसंग व भावार्थ लिखिए।
https://brainly.in/question/27842036
..........................................................................................................................................
सीस मुकुट, कटि काछनी, कर मुरली उर माल।
यहि बानिक मो मन बसौ, सदा बिहारी लाल।।
https://brainly.in/question/12418452
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○