'लेखनि सब बनराय' का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
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¿ 'लेखनि सब बनराय' का अर्थ है, सारे जंगल की लेखनी यानि कलम बना ली जाये।
ये पंक्तियां कबीर के दोहे की हैं। पूरा दोहा और उसका भावार्थ इस प्रकार होगा...
सब धरती कागज करूँ,
लेखनी सब बनराय,
सात समुंदर की मसि करूँ,
गुरुगुण लिखा न जाय।।
भावार्थ : अर्थात कबीर कहते हैं, कि पूरी पृथ्वी की भूमि को कागज क्यों न बना लिया, पृथ्वी के सारे वनों की लकड़ी से कलम क्यों न बना ली जाये। सातों समुद्रों के जल से स्याही क्यों न बना ली जाये। इन सब चीजों की सहायता से भी गुरु के गुण लिखे जायें तो भी कम पडेंगे।
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Explanation:
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