लाला जी का नाम अखबार में छपने पर गुरदासपुर कैसा लगा? उसने क्या-क्या कर मन को समझाया?
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लालाजी का अखबार में केवल नाम ही प्रशंसा-सहित नहीं छपा, उनका चित्र भी छपा। गुरदास आह भरकर रह गया। साथ ही अखबार में नाम छपवाकर, नाम कमाने की आशा बुझती हुई चिनगारियों पर राख की एक और तह पड़ गयी। गुरदास ने मन को समझाया कि इतना धन और यश तो केवल पूर्वजन्म के कर्मों के फल से ही पाया जा सकता है।
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