“लाला ने लोटा ले लिया, बोले कुछ नहीं, अपनी पत्नी का अदब मानते थे।” लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया। आपके विचार से वे चुप क्यों रहे ?अपने विचार लिखिए।
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लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया क्योंकि वे अपनी पत्नी का सम्मान करते थे। इसी इज्जत को सभ्यता कहा जाता है। पति को पत्नी की इज्जत करनी चाहिए। इसके अलावा एक अन्य कारण यह था कि लाला जी अभी तक रुपयों का इंतजाम नहीं कर पाए थे इसलिए भी वे विनम्र हो रहे थे। वे यह भी सोच रहे थे कि चलो अभी बेढ़ंगे लोटे में पानी दे रही है यदि कुछ कहा तो खाना बाल्टी में ही मिलेगा । अच्छा यही है कि इसी बेढंगी लोटे से पानी पी लूं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
लाला झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिल्कुल पसंद नहीं था। फिर भी उन्होंने चुपचाप लोटा ले लिया क्योंकि वे अपनी पत्नी का सम्मान करते थे। इसी इज्जत को सभ्यता कहा जाता है। पति को पत्नी की इज्जत करनी चाहिए। इसके अलावा एक अन्य कारण यह था कि लाला जी अभी तक रुपयों का इंतजाम नहीं कर पाए थे इसलिए भी वे विनम्र हो रहे थे। वे यह भी सोच रहे थे कि चलो अभी बेढ़ंगे लोटे में पानी दे रही है यदि कुछ कहा तो खाना बाल्टी में ही मिलेगा । अच्छा यही है कि इसी बेढंगी लोटे से पानी पी लूं।
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लाल झाऊलाल को बेढंगा लोटा बिल्कुल पसंद नही था, फिर भी उन्होंने ले लिया क्योंकि वे अपनी पत्नी का अदब मानते थे।इसके अतिरिक्त उन्होंने सोचा की अभी तो पानी लोटे में मिल रहा ह यदि चूं करता हु तो कही बाल्टी में भोजन न करना पड़े।अर्थात इससे भी बुरी स्तिथि हो सकती थी,इसलिए उन्होंने चुप रहना ही बेहतर समझा।
धन्यवाद!!
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