लाल पान की बेगम है आंचलिक कहानी है कैसे
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बिरजू की मां शकरकंद उबाल कर बैठी मन-ही-मन कुढ़ रही थी अपने आंगन में. सात साल का लड़का बिरजू शकरकंद के बदले तमाचे खा कर आंगन में लोट-पोट कर सारी देह में मिट्टी मल रहा था. चंपिया के सिर भी चुड़ैल मंडरा रही है... आधे-आंगन धूप रहते जो गई है सहुआन की दुकान छोवा-गुड़ लाने, सो अभी तक नहीं लौटी, दीया-बाती की बेला हो गई.
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