Math, asked by Anonymous, 7 months ago

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Answered by Anonymous
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....... विषय : व्यायाम का महत्त्व

प्रिय सौरभ,

शुभाशीष

पिछले दिनों घर से माताजी का पत्र आया था कि तुम्हारा स्वास्थ्य दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है, यह पढ़कर मुझे बहुत चिंता हुई। भाई! स्वास्थ्य संसार की सबसे बड़ी नेमत है। स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। माताजी ने लिखा था कि तुम अपनी पढ़ाई-लिखाई में इतना ध्यान देते हो कि तुम्हें खाने-पीने और विश्राम करने का होश ही नहीं रहता। मुझे बड़ी प्रसन्नता है कि तुम अपने अध्ययन के प्रति इतने गंभीर हो।

किंतु सौरभ, याद रखो कि एक बीमार राजा होने से एक स्वस्थ मजदूर होना अधिक उत्तम है। अपनी पढ़ाई के साथ-साथ तुम अपने स्वास्थ्य पर भी समुचित ध्यान दो। इसके लिए सबसे अधिक उपयोगी व्यायाम है। शरीर की दुर्बलता दूर करने के लिए व्यायाम किसी औषधि से भी अधिक उत्तम है। व्यायाम से रक्त संचरण सुचारु रूप से होता है। शरीर सुंदर एवं सहिष्णु बनता है तथा पाचनशक्ति बढ़ जाती है। व्यायाम के साथ-साथ संतुलित आहार-विहार तुम्हें अवश्य स्वस्थब नाएगा। तुममें जीवन उत्साह एवं स्फूर्ति का संचार होगा।

व्यायाम का महत्त्व हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने भी बताया है। अनेक ग्रंथों में लिखा है कि जो व्यक्ति नित्यप्रति समुचित व्यायाम करता है और अपना आहार-विहार संतुलित रूप से रखता है, उसे जीवन में कभी भी बीमारियों का शिकार नहीं होना पड़ता। यदि बीमार व्यक्ति भी नित्य हल्का-फुल्का व्यायाम करे तो वह शीघ्र ही स्वस्थ होकर सबल और पुष्ट हो जाता है। इस प्रकार व्यायाम के इतने लाभ हैं जिन्हें यहाँ लिखना संभव नहीं है।

आशा है, तुम अपने स्वास्थ्य की अपेक्षा करके व्यायाम को अपनी दैनिक दिनचर्या का एक अंग बना लोगे और अपने शरीर को हृष्ट-पुष्ट रखोगे । घर में सभी को यथायोग्य अभिवादन और स्नेह ।

तुम्हारा शुभाकांक्षी

शरद

hope it help you... tanu.......

Answered by MysteriousAryan
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Answer:

118-B

विकास नगर

नई दिल्ली

दिनांक- 29/09/20

प्रिय भाई

मैं यहां कुशल पूर्वक हूं व आशा करता हूं कि तुम भी वहां सकुशल होगे। पिछले दिनों माता जी का मेरे पास एक पत्र आया था कि तुम्हारा स्वास्थ्य धीरे-धीरे खराब होता जा रहा है। यह पढ़कर मेरे को बहुत चिंता एवं दुख हुआ। भाई! स्वास्थ्य संसार की सबसे बड़ी देन है। स्वस्थ शरीर से ही स्वस्थ मस्तिष्क का निर्माण होता है।माताजी ने मेरे को लिखा था कि तुम पढ़ाई लिखाई में ज्यादा ध्यान देते हो एवं खेलकूद में बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते।मैं तुम्हें यह बताना चाहता हूं कि दोनों चीजें बराबर होती है तुम्हें दोनों में एक समान ध्यान देना चाहिए। मैं तुम्हें बस यह बताना चाहता हूं कि तुम अपने योग और दिनचर्या को बेहतर करो।

तुम्हें रोज व्यायाम एवं योगा करनी चाहिए जिससे तुम्हारा शरीर स्वस्थ एवं अच्छा रहे।तुम्हें यह याद रखना चाहिए कि अगर तुम स्वस्थ हो तभी तुम पढ़ाई लिखाई में आगे बढ़ सकते हो अगर तुम बीमार हो तो तुम कुछ भी नहीं कर सकते। शरीर ही हमें चीजें करने पर मजबूर करता है। मैं आशा करता हूं कि तुम आगे से इन सब चीजों पर ध्यान दोगे और अपनी दिनचर्या को और बेहतर बनाकर मुझे प्रसन्न करोगे।

मेरी ओर से माता जी को प्रणाम कहना वह पिता जी को कहना कि वह अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें। वह छोटी बहन को मेरा प्यार देना।

तुम्हारा अग्रज

आर्यन

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