Hindi, asked by devkumarmishraballia, 1 month ago

"ले लो यह शस्त्र है
गौरव ग्रहण करने का रहा कर में-
अब तो न लेश मात्र।
लालसिंह! जीवित कलुष पञ्चनद का
देख, दिये देता है
सिंहों का समूह नख दन्त आज अपना।"
अरी रण-रङ्गिनी!
सिक्खों के शौर्य भरे जीवन की संगिनी!
कपिशा हुई थी लाल तेरा पानी पान कर।
दुर्मद दुरन्त धर्म दस्युओं की त्रासिनी-
निकल, चली जा तू प्रतारणा के कर से।"
"अरी वह तेरी रही अन्तिम जलन क्या?
तो मुँह खोले खड़ी देखती थीं त्रास से
चिलियान वाला में।
आज के पराजित जो विजयी थे कल ही,
उनके समर वीर में त नाचती
तू
लप-लप करती थी-जीभ जैसे यम की!



अर्थ बताइये​

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Answered by patildadaso20
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कहीं गुलाबी तो कहीं नीला दिखाई दिया सूर्य, अब दिसंबर में दिखाई देगा सूर्य ग्रहण

बता दें कि सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। इससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सूर्य ग्रहण को सीधे नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य से निकलने वाली हानिकारक किरणें आपकी आंखों को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं।

जनसत्ता ऑनलाइनEdited By Rupam SinhaUpdated: Jun 21, 2020 4:18:17 pm

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ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखें

देश के कई शहरों में सूर्यग्रहण का अद्भुत नजारा देखने को मिला। ग्रहण की समाप्ति भारत के कई शहरों में हो चुकी है। जब भी ग्रहण की बात आती है तो सबके मन में यह सवाल उठता है कि ग्रहण लगने पर क्या चीजें करनी चाहिए और क्या नहीं। लेकिन इसके अलावा यह भी एक महत्व बात है कि क्या नग्न आंखों से सूर्य ग्रहण देखा जा सकता है? बता दें कि सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। इससे आंखों को नुकसान पहुंचता है। विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सूर्य ग्रहण को सीधे नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। ऐसा करने से सूर्य से निकलने वाली हानिकारक किरणें आपकी आंखों को काफी नुकसान पहुंचा सकती हैं। कई बार यह अंधापन का कारण भी बनती हैं। इसलिए ग्रहण को हमेशा चश्मा पहनकर देखना चाहिए।

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