लालच का फल छोटी कहानी
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लालच का फल कहानी
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एक गाँव में एक गरीब किसान रहता था, उसे साथ उसकी पत्नी भी रहती थी. किसान तो बहुत इमानदार था परन्तु उसकी पत्नी बहुत ही लालची स्वभाव की औरत थी, जिसके कारन वो अपने पीटीआई को हमेशा ताने मारती रहती थी कि जाओ कुछ कमा के लाओ.
वो किसान रोज़ रोज़ अपनी पत्नी के तानों से बहुत ही परेशान हो गया था. वह दिन भर अपने खेतों में मेहनत करता था फिर भी उसकी पत्नी सोचती थी कि हम एक झटके में अमीर हो जाएँ, मुझे सारी दुनिया की ख़ुशी मिल जाए.
लेकिन किसान बार बार अपनी पत्नी को यही समझाता था कि हमें मेहनत करने के बाद ख़ुशी मिलेगी उससे अच्छी ख़ुशी कुछ भी नहीं होती, लेकिन उसकी पत्नी के लालची स्वभाव के कारन उससे यह बातें समझ में ही नहीं आती थी.
वो किसान अपनी पत्नी के तानों से बड़ा परेशान रहता था.एक दिन किसान जंगल में लकड़ी काटने गया और उसदिन धूप बहुत तेज़ थी तो किसान धूप और गर्मी से बहुत जल्दी थक गया और वह आराम करने के लिए एक पेड़ के नीचे बैठ गया और अपनी पत्नी के बारे में सोचने लगा.
इतने में एक साधू जंगल से गुजर रहे थे तो उन्होंने उस किसान को देखा और समझ गये कि किसान जरुर किसी बात से परेशान है. वो उसके पास गये और उन्होंने उस किसान से परेशानी का कारन पूछा.किसान ने उस साधू को प्रणाम किया और बोला कि मैं परेशान नहीं हूँ, थोडा थक गया हूँ इसलिए चेहरे पर थोड़ी चिंता जैसी भावना दिख रही होगी.
लेकिन साधू ने कहा, “नहीं, तुम जरुर किसी वजह से परेशान हो, इसलिए हमें बताओ, शायद मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकूं.”
तो पहले किसान ने मना किया कि ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन साधू के बार बार कहने पर किसान अपने घर और पत्नी की स्थिति के बारे में सब कुछ बताने लगा.
तो साधू ने कहा, “बस इतनी सी बात है, तुम गरीब हो इसलिए यह समस्सया तुम्हारे साथ है. इसलिए मैं तुम्हें एक ऐसी थाली दे रहा हूँ जिसमें अगर रात को थाली से कुछ भी मांग कर थाली को ढक कर सो जाओगे तो सुबह मांगी हुई चीज़ जरुर मिलेगी.
लेकिन तुम्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि एक रात में एक ही चीज़ मांगना है और यदि एक ही रात में एक से ज्यादा चीजें इस थाली से मांगोगे तो अगले दिन इस थाली के द्वारा दी गयी सारी चीजें गायब हो जाएँगी, और यह थाली भी गायब हो जाएगी.”
साधू की बात सुन कर किसान बहुत खुश हुआ और मन ही मन सोचने लगा कि सब चीजें धीरे धीरे बदल जाएँगी, हम गरीब से अमीर हो जाएंगे और हमारी पत्नी भी खुश रहेगी.
ऐसा सोच कर किसान से उस साधू महाराज को धन्यवाद किया और फिर हसी ख़ुशी अपने घर लौट आया और उस थाली के बारे में अपनी पत्नी को बताया. पहले उसकी पत्नी को विश्वास नहीं हुआ लेकिन किसान के समझाने के वो मान गयी.
वह दोनों रात होने का इंतजार करने लगे. जब रात हुई तो किसान और उसकी पत्नी ने थाली से सोने के सिक्के मांग कर उसे ढक कर सो गये. जब अगले दिन सुबह उठे तो देखा कि उस थाली में सोने के सिक्के भरे हुए थे.
अब किसान और उसकी पत्नी की ख़ुशी का ठिकाना ना रहा क्योंकि साधू महाराज की बात सच हो गई थी. अब तो किसान की पत्नी को इतने सारे सोने के सिक्के देख कर उसके मन में और ज्यादा लालच उत्पन हो गया.
लालच का फल हिंदी कहानी
फिर एक रात उसने महल, फिर दासी, फिर नौकर-चाकर सब कुछ एक एक करके मांग लिया, तो अगले दिन उसे मन चाही चीज़ मिल जाती थी.
अब तो किसान की पत्नी गरीब से अमीर हो चुकी थी और उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही नहीं रहता था. लेकिन उसके मन का लालच दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था, लेकिन किसान उसे बहुत समझता कि इतना सुख सम्पत्ति हमारे लिए बहुत है.
लेकिन वह कहाँ मानने वाली थी. इसी बीच किसान एक दिन जरूरी काम से कहीं बाहर गया हुआ था और रात को घर वापिस नहीं आ पाया था.
तो किसान की पत्नी ने उस रत थाली से एक साथ ढेर सारी चीजें मांग ली. फिर क्या था अगले दिन साधू महाराज के कथन के अनुसार वह थाली और थाली द्वारा दी गयी शुरू से लेकर अब तक की सभी चीजें गायब हो चुकी थी.
lalach ka fal bura hota hai
इसके बाद किसान की पत्नी फिरसे अपने टूटे हुए झोंपड़े में आ गई थी. यह सब देख कर वो पछताने लगी.
इतने में किसान भी आ गया और ये सब देख कर उसे समझने में जरा भी देर नहीं लगी और अपनी पत्नी को खूब बोला और कहा, “और करो लालच.”
लेकिन अब सिर्फ पछताने के सिवा कुछ नहीं बचा था, क्योंकि जैसा कहा भी गया है कि लालच बुरी बला होती है.
इन्सान को जल्दी समझ नहीं आता, उसे तभी समझ में आता है जब सब कुछ खत्म हो चूका होता है और सिर्फ पछताना ही शेष होता है.