L.निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उत्तर लिखिए।
बढ़ती हुई आबादियों ने समुद्र को पीछे सरकाना शुरू कर दिया
है, पेड़ों को रास्तों से हटाना शुरू कर दिया है, फैलते हुए प्रदूषण
ने पंछियों को बस्तियों से भगाना शुरू कर दिया है। बारूदों की
विनाशलीलाओं ने वातावरण को सताना शुरू कर दिया। अब
गरमी में ज्यादा गरमी, बेवक्त की बरसाते. जलजले, सैलाब,
तूफान और नित नए रोग, मानव और प्रकृति के इसी असंतुलन
के परिणाम हैं। नेचर की सहनशक्ति की एक सीमा होती है।
नेचर के गुस्से का एक नमूना कुछ साल पहले बंबई (मुंबई) में
देखने को मिला था और यह नमूना इतना डरावना था कि बंबई
निवासी डरकर अपने-अपने पूजा-स्थल में अपने खुदाओं से
प्रार्थना करने लगे थे।
(क)इस गद्यांश के पाठ तथा लेखक का नाम लिखिए।
(ख) बढ़ती आबादी ने समुद्र को कैसे सरकाया?
(ग) बढ़ती आबादी का प्राकृतिक जीवन पर क्या प्रभाव
पड़ा?
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1. path ka naam: abb kahan dusron ke dukh se dukhi hone waale
lekhak: Nida fazli
2. badi badi buildingen banakar
3. buraa
Explanation:
please mark me brainalist
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क - यह गद्यांश निदा फ़ाज़ली द्वारा लिखी गई पाठ "अब कहां दूसरों के दुख से दुखी होने वाले" से उद्धृत है।
Explanation:
- ख) "बढ़ती हुई आबादी ने समुद्र को पीछे सरकाया" यह घटना सदियों से होती चली आ रही है प्रकृति से लोग छेड़छाड़ कर रहे हैं बात मुंबई शहर की है जहां आशियानों के लिए मकानों का जाल बिछ गया है। बड़े बड़े बिल्डर मकान पर मकान बनाए जा रहे हैं कल कारखाने खोले जा रहे हैं आधुनिकता ने तो इस शहर को और इस शहर में रहने वाले समुद्र को भी नहीं छोड़ा धीरे-धीरे करके समुद्र पीछे की ओर चलती गई और इस शहर के लोग कल कारखाने स्थापित करते चले गए।
- ग) बढ़ती हुई आबादी ने अपने आशियाने के लिए बिल्डिंग का जाल बिछा दिया। पेड़ों की कटाई शुरू कर दी, इतने से उसका दिल नहीं भरा। मनुष्य की महत्वकांक्षा इतनी बढ़ गई कि दूसरे के विभागों को हड़पने के लिए युद्ध जैसी विनाश लीला भी प्रारंभ कर दी। युद्ध में इस्तेमाल होने वाले बारूदों के कारण प्रदूषण की समस्या शहर में उत्पन्न हो गई, जिसके कारण प्रकृति असंतुलित हो गई। असमय बारिश और असहनीय गर्मी ने पशु पक्षी से लेकर मनुष्य का भी जीना बेहाल कर दिया। इस प्रकार बहुत दिनों तक बारिश नहीं होने के कारण सुखाड़ का सामना करना पड़ा और अतिवृष्टि से शहर और नदी तालाब का अंतर समाप्त हो गया। ओलावृष्टि और प्राकृतिक आपदाओं का अंबार लग गया। सांस लेने के लिए हवा भी जहरीली हो गई और नई नई बीमारियों ने जन्म ले लिया।
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