लिपि किसे कहते हैं हिंदी भाषा की लिपि कौन सी है
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लिपि या लेखन प्रणाली का अर्थ होता है किसी भी भाषा की लिखावट या लिखने का ढंग। ध्वनियों को लिखने के लिए जिन चिह्नों का प्रयोग किया जाता है, वही लिपि कहलाती है।
हिंदी भाषा की लिपि देवनागरी है |
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देवनागरी लिपि में हिन्दी के अलावा संस्कृत, पालि,मराठी, कोंकणी, सिन्धी भोजपुरी, मगही, कश्मीरी, अंगिका, नेपाली,गढ़वाली, बोडो, संथाली ,मैथिली आदि भाषाएँ भी लिखी जाती हैं। कुछ स्थितियों में गुजराती ,पंजाबी, बिष्णुपुरिया मणिपुरी, रोमन और उर्दू भाषाएं भी देवनागरी लिपि में लिखी जाती हैं।
देवनागरी लिपि को "नागरी लिपि " भी कहते हैं। यह अपने आरम्भिक रूप में ब्राह्मी लिपि के नाम से जानी जाती थी। इसका वर्तमान रूप नवी- दसवीं शताब्दी में दिखाई दिया। भाषा विज्ञान की शब्दावली में यह 'अक्षरात्मक लिपि ' कहलाती है।यह विश्व में प्रचलित सभी लिपियों की अपेक्षा अधिक पूर्णतर है।इसके लिखित और उच्चरित रुप में कोई अन्तर नहीं पड़ता है।प्रत्येक ध्वनि संकेत यथावत लिखे जाते हैं। यह भारत की सर्वाधिक प्रचलित लिपि है। नागरी शब्द का सबसे पहला उल्लेख 453 ई. में जैध ग्रंथों में मिलता है। नागरी नाम के संबंध में मतैक्य नहीं है।कुछ लोग कहते हैं कि नगरों में प्रयोग होने के कारण इसका नाम नागरी पड़ा जबकि अन्य मत के अनुसार देवनगर काशी में प्रचलन होने के कारण इसका नाम देवनागरी पड़ा,एक अन्य मत के अनुसार गुजरात के नागर ब्राह्मणों द्वारा इसका उपयोग करने के कारण इसका नाम देवनागरी पड़ा होगा।।
देवनागरी लेखन की दृष्टि से सरल ,सौन्दर्य की दृष्टि से सुन्दर और वाचन की दृष्टि से सुपाठ्य है।यह लिपि बाँए से दाँए ओर लिखी जाती है ।एक क्षैतिज रेखा इसकी पहचान है जिसे ' शिरोरेखा ' कहते हैं। इसमेँ कुल 52 अक्षर होते हैं, जिसमें 14 स्वर और 38 व्यंजन हैं।अक्षरों की क्रम व्यवस्था ,विन्यास भी बहुत ही वैज्ञानिक होता है। स्वर - व्यंजन , कोमल - कठोर , अल्पप्राण - महाप्राण , अनुनासिक्य - अन्तस्थ - उष्म इत्यादि वर्गीकरण भी वैज्ञानिक है।