लुप्त होते बचपन के खेलों पर चिंता जाहिर करते हुए दो मित्रों /सहेलियों के मध्य लगभग 60 शब्दों में एक संवाद लिखिए
Answers
Answer:दीपा:-क्या हो रहा है बहन?
संगीता:-मैं सोच रही थी कि जब हम बच्चे थे कितन सारे खेल खेला करते थे न!
दीपा:- सच कहा तुमने, एक हम थे और अब इन आजकल के बच्चे को तो देखो।
संगीता:- देखो इस मैदान पर कितने कम बच्चे है।
दीपा:- हमारे जमाने के खेलो का तो कोई महत्व ही नहीं है ।
संगीता:- आजकल के बच्चे तो वीडियो गेम खेलना ज्यादा पसंद करते हैं ।
दीपा:- हमारे बचपन के खेल वही खत्म न हो जाए।
संगीता:- ठीक है बहन ! तुम्हारी बात तो।।।
Explanation:
संवाद लेखन...
।। लुप्त होते बचपन के खेल ।।
(लुप्त होते बचपन के खेलों पर चिंता करते हुए दो सहेलियों कमला और विमला के बीच संवाद हो रहा है)
कमला : मैं तो अपनी बेटी सपना से बहुत परेशान हो गई हूँ, दिन भर मोबाइल में गेम खेलने में लगी रहती है।
विमला : बहन, तुम्हारी बेटी जैसा हाल मेरे बेटे रतन का भी है, वह भी दिनभर या टीवी देखता रहता है या लैपटॉप, मोबाइल पर गेम खेलने में लगा रहता है और जंक फूड खाता रहता है, इससे वह बेहद मोटा हो गया है।
कमला : हाँ, वही तो हमारे समय में हम लोग बाहर कितना उछलते-कूदते थे।आजकल के बच्चे बस घर पर ही पड़े रहते हैं और मोबाइल लैपटॉप आदि में बिजी रहते हैं, इससे उनकी सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है।
विमला : हाँ, अब वह लुकाछिपी, गुल्ली-डंडा, छुपन-छुपाई आदि खेल कहाँ गायब हो गये। आजकल के बच्चे तो बाहर खेलने ही नही जाना चाहते, बस उन्हें तो लैपटॉप, टैबलेट, मोबाइल आदि ही चाहिये।
कमला : हाँ, बहन हमारे बचपन के खेल कितने अच्छे होते है, उनसे हमारा शरीर कितना चुस्त-दुरस्त रहता था। आजकल के बच्चे तो बस घर में ही कैद रहते हैं।
विमला : हाँ, बहन सही कर रही हो।
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