लासा की ओर यात्रा वृत्तांत के आधार पर बताइए कि उस समय का तिब्बती समाज कैसा था?
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ल्हासा की ओर यात्रा वृतांत के आधार पर हम यह कह सकते हैं कि उस समय तिब्बत में अतिथियों का स्वागत एवं सत्कार किया जाता था। वहां की औरतें लज्जा के कारण वश घूंघट डाले रहती थी। वहां पर किसी यात्री की सहायता में सभी लोग अग्रसर रहते थे । तिब्बत में अगर कोई व्यक्ति उस समय चाय बनवाना चाहता हो तो वह स्त्रियों से कह कर अपने लिए चाय बनवा सकता था। वहां बहुत निम्न श्रेणी के भिखारियों को ही घर में घुसने नहीं दिया जाता था। वहां शाम के बाद लोग छंद पीकर मस्त हो जाते थे।
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इस यात्रा वृत्तान्त से पता चलता है कि उस समय तिब्बती समाज में परदा प्रथा , छुआछूत जैसी बुराईयां न थी। महिलाएं अजनबी लोगों को भी चाय बनाकर दे देती थी । निम्न श्रेषी के भिखमंगो को छोड़कर कोई भी किसी के घर में आ जा सकता था। पुरुषवर्ग शाम के समय छक पीकर मदहोश रहते थे । समाज में अंधविश्वास का बोलबाला था।