Hindi, asked by Harshavardan6744, 9 months ago


L. शिक्षा क्षयं गच्छति कालपर्ययात्
सुबद्धमूलाः निपतन्ति पादपाः।
जलं जलस्थानगतं च शुष्यति
हुतं च दत्तं च तथैव तिष्ठति।।
Arthvishar

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Answered by bhatiamona
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शिक्षा क्षयं गच्छति कालपर्ययात्

सुबद्धमूलाः निपतन्ति पादपाः।

जलं जलस्थानगतं च शुष्यति

हुतं च दत्तं च तथैव तिष्ठति।।

इस श्लोक का अर्थ है:  

समय के साथ प्राप्त की गई विद्या नष्ट हो जाती हैं , अत्यंत मजबूत जड वाले पेड़ भी गिर जाते हैं, जलाशय में स्थित पानी भी सूख जाता है, लेकिन आहूत (यज्ञ में) और (याचक को) दिया हुआ वैसे का वैसा (शाश्वत) रहता हैं।  

Answered by shivamraj7739
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Explanation:

भावार्थ- *समय के साथ शिक्षा का क्षय हो जाता है l अच्छी तरह जड़ से जमा हुआ वृक्ष भी धराशायी हो जाता है l जलाशय में रहा पानी भी समय के साथ कालांतर में सूख जाता है, परंतु यज्ञ की अग्नि में समर्पित आहूति और दिया गया दान कभी नष्ट नहीं होता, सदैव ही शाश्वत रहता है।*

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