Hindi, asked by saritaku83, 9 months ago

लूट लिया माली ने उपवन
लुटी न लेकिन गंध फूल की।
तूफानों तक ने छेड़ा पर,
खिड़की बंद न हुई धूल की
नफ़रत गले लगाने वालो!
सब पर धूल उड़ाने वालो!
कुछ मुखड़ों की नाराज़गी से दर्पण नहीं मरा करता है।​

Answers

Answered by ravishankarmandal661
4

Answer:

मोती व्यर्थ बहाने वालो !

कुछ सपनों के मर जाने से जीवन नहीं मरा करता है।

सपना क्या है? नयन सेज पर

सोया हुआ आँख का पानी,

और टूटना है उसका ज्यों

जागे कच्ची नींद जवानी

गीली उमर बनाने वालो।

डूबे बिना नहाने वालो !

कुछ पानी के बह जाने से सावन नहीं मरा करता है।

माला बिखर गयी तो क्या है

ख़ुद ही हल हो गई समस्या,

आँसू गर नीलाम हुए तो

समझो पूरी हुई तपस्या,

रूठे दिवस मनाने वालो !

फटी कमीज़ सिलाने वालो !

कुछ दीपों के बुझ जाने से आँगन नहीं मरा करता है।

खोता कुछ भी नहीं यहाँ पर

केवल जिल्द बदलती पोथी ।

जैसे रात उतार चाँदनी

पहने सुबह धूप की धोती

वस्त्र बदलकर आने वालो !

चाल बदलकर जाने वालो !

चन्द खिलौनों के खोने से बचपन नहीं मरा करता है।

लाखों बार गगरियाँ फूटीं

शिकन न आई पनघट पर

लाखों बार किश्तियाँ डूबीं

चहल-पहल वो ही है तट पर

तम की उमर बढ़ाने वालो

लौ की आयु घटाने वालो

लाख करे पतझर कोशिश पर उपवन नहीं मरा करता है।

लूट लिया माली ने उपवन

लुटी न लेकिन गन्ध फूल की,

तूफ़ानों तक ने छेड़ा पर

खिड़की बन्द न हुई धूल की,

नफ़रत गले लगाने वालो !

सब पर धूल उड़ाने वालो !

कुछ मुखड़ों की नाराज़ी से दर्पन नहीं मरा करता है।

- गोपालदास नीरज

साभार - नीरज संचयन, भारतीय ज्ञानपीठ

Explanation:

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Answered by adarshraj9162
10

Answer:

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