लौटा लो यह अपनी थाती
मेरी करुणा हा-हा खाती
विश्व! न सँभलेगी यह मुझसे
इससे मन की लाज Kavya Soundarya ki Jay।.
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अपना सवाल पूछो। अप्रासंगिक बातें मत पूछो
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उपर्युक्त पंक्तियाँ देवसेना के गीत से ली गयी है।
- इन पंक्तियों के माध्यम से देवसेना ये कहना चाहती है की तुम अपने धरोहर को वापस ले लो। इस प्रेम के साथ अब वो नहीं रह सकती क्यूंकि अब वो इसे संभाल नहीं पाएगी।
- वे बहुत की भावुक हो चुकी थी। इस प्रेम के ही कारण वो अपनी लाज भी गवा बैठी है और अब कुछ भी खोना नहीं चाहती। वो गुप्त जी से बहुत प्रेम करती थी परन्तु वो किसी और को चाहता था
- इस कविता में देवसेना की आतंरिक वेदना का प्रदर्शन किआ गया है और उनकी मन की स्तिथि को समझाया गया है। इसमें खरी बोली का प्रयोग किआ गया है।
#SPJ2
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