लोट लकार: और विधिलिङ् में अंतर
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लोट् लकार (आज्ञादि, Imperative Mood) – भवतु इत्यादि। (ङ) विधिलिङ् लकार (विध्यादि, Potential Mood) – भवेत् इत्यादि। विधिलिङ् का प्रयोग नम्रतापूर्वक आदेश देने, कार्य कराने, सलाह देने, निमंत्रण देने, प्रेमपूर्वक आग्रह तथा सत्कारपूर्वक व्यापार, प्रश्न एवं प्रार्थना आदि अर्थों में होता है।
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लोट लकार : यह आज्ञार्थक काल है । और विधिलिग लकार : में चाहिए के अर्थ में होता है।
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