लूटपाट पर 250 शब्दों में एक कहानी लिखो
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आतंकवाद’ ऐसा आतंकित करने वाला शब्द है कि इसे सुनते ही बंदूकधारी, काले कपड़े से मुँह ढके हुए, भयानक आँखों वाले चेहरे हमारे नेत्रों के समक्ष उभरने लगते हैं। ‘आतंक’ का अर्थ है-भय। अतः ऐसे व्यक्ति जो स्वार्थ सिद्धि हेतु लोगों के मन में भय उत्पन्न करें और अनुचित ढंग से अपनी माँगें मनवाने की चेष्टा करें, आतंकवादी कहलाते हैं। आतंकवादी अपनी माँग मनवाने के लिए प्रत्येक उचित-अनुचित हथकंडे अपनाते हैं।
ऐसा नहीं है कि यह आतंकवाद आज की उपज है, अपितु यह तो हर युग में रहा है। प्राचीनकाल में पहले अरबों ने आतंकवाद फैलाया, फिर मुगलों ने, फिर अंग्रेज़ों ने। विभिन्न विदेशी जातियों ने आतंक के बलबूते पर ही भारत में शासन किया। स्वतंत्र भारत में लोगों ने सुख की साँस ली क्योंकि भारत में प्रजातंत्र आ गया। 1971 में विधानसभा भंग होने पर गुजरात में और 1975 में विभिन्न आतंकवादी गतिविधियाँ आरंभ हुईं। पिछले तीन-चार दशकों से पंजाब और जम्मू-कश्मीर के अतिरिक्त भारत के अन्य राज्य भी आतंकवादी गतिविधियों का शिकार हैं। कश्मीर और असम वर्तमान में आतंकियों के लिए आसान लक्ष्य बने हुए हैं। उल्फा के नाम से असम की जनता थर-थर कांपती है तो मिलिटैंटों (आतंकवादियों) के नाम से कश्मीर के लोग त्राहि-त्राहि करने लगते हैं। वस्तुतः आतंकवाद जितने घिनौने रूप में वर्तमान समय में भारत की पावन धरा पर विद्यमान है, ऐसा पहले कभी नहीं था।
आतंकवाद के लिए कुछ कारण उत्तरदायी हैं। सर्वप्रमुख, नवयुवकों का दिग्भ्रमित होना। कुछ सिरफिरे लोग अपनी स्वार्थसिद्धि का एकमात्र साधन हिंसा मानते हैं। अतः वे मारकाट, लूटपाट करके जनमानस में दहशत फैलाते हैं। आतंकवाद की उत्पत्ति में पडोसी देश भी अपना सहयोग दे रहा है। विभिन्न प्रमाणों के आधार पर पता चला है कि पंजाब, कश्मीर में आतंक फैलाने वाले अधिकांश युवक पाकिस्तान से प्रशिक्षण प्राप्त हैं। पाकिस्तान आतंकवादियों के माध्यम से भारत से एक ‘अप्रत्यक्ष युद्ध’ लड़ रहा है। न केवल प्रशिक्षण, अपितु आतंक फैलाने के लिए हथियार, विस्फोटक सामग्री आदि भी पाकिस्तान ही उपलब्ध करा रहा है। एक अन्य कारण जो आतंकवाद के लिए उत्तरदायी है, वह है-सरकार की ढुलमुल नीति। विभिन्न नेता स्वार्थसिद्धि के लिए आतंकवाद को हवा देते रहते हैं। किसी भी सरकार ने दृढ़ नीति लागू करके इस समस्या का उन्मूलन नहीं किया।
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