लृ तथा ओ है -
Vyanjan/ Sawar
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दीर्घ स्वर- जिस स्वर के उच्चारण में दो मात्राओं का समय लगे उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। इनकी संख्या आठ है— आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ तथा औ। इनमें से 'लु' ध्वनि का दीर्घ रूप 'लू' केवल वेदों में प्राप्त होता है। अन्तिम चार वर्णों को संयुक्त वर्ण (स्वर) भी कहते हैं, क्योंकि ए, ऐ, ओ तथा औ दो स्वरों के मेल से बने हैं।
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दीर्घ स्वर- जिस स्वर के उच्चारण में दो मात्राओं का समय लगे उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। इनकी संख्या आठ है— आ, ई, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ तथा औ। इनमें से 'लु' ध्वनि का दीर्घ रूप 'लू' केवल वेदों में प्राप्त होता है। अन्तिम चार वर्णों को संयुक्त वर्ण (स्वर) भी कहते हैं, क्योंकि ए, ऐ, ओ तथा औ दो स्वरों के मेल से बने हैं।
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