लिवरवर्ट वर्ग का protista he
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ये प्राय नम , छायादार , दलदल , गिली मिट्टी व पेड़ो की छाल में पाये जाते है।
पादप शरीर थैलस के रूप में होता है।
इनमें पत्ती समान संरचनाएँ पायी जाती है , जो तने समान संरचना पर कतारों में लगी रहती है।
कायिक जनन विखंडन द्वारा होता है।
अलैंगिक जनन बहुकोशिकीय विशिष्ट संरचना जेमा कप द्वारा होता है।
लैंगिक जनन युग्मको के संलयन द्वारा होता है। लैंगिक अंग एक या अलग अलग पादपों पर विकसित होते है। नर लैंगिक अंग पुधानी में पुमंग तथा मादा लैंगिक अंग स्त्रीधानी में अण्डकोशिका बनती है।
पुमंग व अंड कोशिका के संलयन से बीजाणुद्भिद विकसित होता है जो पाद , सिटा व केप्सूल में विभेदित होता है। बीजाणुद्भिद में अर्द्धसूत्री विभाजन द्वारा बीजाणु बनते है , जो अंकुरित होकर नया पादप बनाते है।
उदाहरण – मार्केन्शिया।
इसकी युग्मकोद्भिद अवस्था प्रभावी होती है , जिसकी 2 संरचनात्मक अवस्थाएँ होती है।
प्रथम अवस्था विसर्पी , हरी , शाखित तथा तन्तुमय होती है।
दूसरी अवस्था पत्ती के समान होती है इसमें एक सीधा पतला , तने के समान संरचना होती है जिस पर सर्पिल रूप में पत्तियाँ लगी रहती है।
मूलाय बहुकोशिकीय व शाखित होते है।
कायिक जनन विखंडन या मुकुलन द्वारा होता है।
लैंगिक जनन लीवरवर्ट के समान होता है।
उदाहरण – प्युनेरिया , पॉलीट्राइकम , स्फेगमन आदि।
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