Social Sciences, asked by Steven2952, 7 months ago

Ladakh has a very rich oral tradition of songs and poems. Local versions of the Tibetan national epic the Kesar Saga are performed and sung by both Muslims and Buddhists. Give reasons

Answers

Answered by shivangimannsharma8
0

Answer:

तिब्बती कथा वाचन संगीतः तिब्बती परम्परागत संगीत में कथा वाचन गीत एक प्राचीन किस्म वाला संगीत है और उस की जबरदस्त जीवन शक्ति मौजूद है । कथा वाचन संगीत में राजा गैसर से जुड़ा हुआ संगीत और लामा मनी आदि शामिल हैं ।

तिब्बती वीर महाकाव्य《राजा गैसर》कथा वाचन संगीत का सब से मशहूर गाथा है, इस महाकाव्य का इतिहास हज़ार वर्ष पुराना है । जिस में मुख्य तौर पर राजा गैसर की कहानी कही जाती है । राजा गैसर की कहानी आज तक व्यापक जनजीवन में एक लोक काव्य के रुप में मौखिक रुप से प्रचलित रही है, इस का श्रेय तिब्बती लोक वाचकों को जाता है । वे इधर उधर घूमते हुए गैसर की कहानियों को तिब्बती बहुल क्षेत्रों में प्रसारित करते हैं ।

महाकाव्य《राजा गैसर》प्राचीन समय में तिब्बती लोक संस्कृति की सब से उच्च स्तरीय निधि मानी जाती है । अब तक 150 किस्मों की प्रतियां सुरक्षित रखी हुई हैं । सारे महाकाव्य में एक करोड़ पचास लाख अक्षर हैं । यह महाकाव्य प्राचीन यूनान के महाकाव्य《इलियड》और भारत के《महाभारत》से दस गुने से भी ज्यादा लम्बा है । "वर्तमान विश्व में एकमात्र सब से लम्बा जीवित महाकाव्य"माने जाने वाला महाकाव्य《राजा गैसर》बोलने व गाने, तिब्बती ऑपेरा तथा चित्र के रूप में तिब्बती और मंगोल जाति बहुल क्षेत्रों में प्रसिद्ध है ।

लामा तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षु है । मानी का मतलब तिब्बती बौद्ध सूत्र के छह स्ल्लाबल प्रार्थनाएं यानी ओम मानी पद-में हम है । लामा मानी का अर्थ है कि तिब्बती बौद्ध धर्म के भिक्षु द्वारा बौद्ध धर्म की कहानी के आधार पर कथा वाचन कला ही है । पहले इस किस्म वाला संगीत मुख्य तौर पर तिब्बती बौद्ध धर्म के मठों में प्रचलित है । एक भिक्षु लकड़ी लाते हुए बुद्ध भवन में रखे हुए थांगखा चित्र की ओर इशारा करते हुए भिक्षुओं को थांगखा चित्र में वर्णित बौद्धिक कहानी गाकर सुनाता है । बाद में इस प्रकार का कथा वाचन लोक जगत में प्रवेश हुआ, तिब्बती लोक कलाकारों ने लामा मानी के विषय को विस्तृत किया

Explanation:

Similar questions