ladies ke parliament me hone se parliament sahi rahega ya nahi
it is a debate topic and i need a speech in hindi on it for paksh please help me tommorow is my competition....
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मुझे अपने भारत देश के संविधान पर गर्व है जिसके निर्माता बाबा भीमराव अंबेडकर साहब हैं जिन्होंने संविधान के तहत भी महिलाओं को बराबर का अधिकार दिया। हर क्षेत्र में, पढ़ने-लिखने, रोजगार के क्षेत्र में औऱ हर तरह से आगे बढ़ने के लिए उन्होंने कहा कि महिलाएं बराबर की हकदार रहेंगी। आज उसी संविधान के तहत, भारत के दोनों सदनों में और भारत के सदनों के बाहर भी कोने-कोने में महिलाएं ३३ प्रतिशत आरक्षण के लिए पिछले १६ सालों से पूरी तरह से कसरत कर रही हैं। मैं इसीलिए इस बिल का समर्थन करना चाहती थी क्योंकि महिलाएं जिनका हम चहुंमुंखी विकास-शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, शैक्षणिक और राजनैतिक रूप से जिनका हम विकास करना चाहते हैं।वह विकास तभी हो सकता है जब महिलाओं को आरक्षण दिया जाए। महिलाओं के रास्ते किसी तरह से बन्द नहीं होने चाहिए। इस देश में बराबरी का अधिकार जो हमें संविधान से मिला है, वह हमे चुनावों में और राजनीति में क्यों नहीं मिलना चाहिए? हम राजनीति में पीछे क्यों रहें? फिलहाल हम ३३ प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं, जो कि हमें नहीं मिल पा रहा है।मैं कहना चाहती हूँ कि जिस तरह से देश के कोने-कोने से महिलाओं की आवाज उठी है, उसे इस संसद में उठाने के लिए मुझे इस बात को यहां रखना पड़ा है। महिलाएं बड़ी सच्चाई और इमानदारी से अपना घर-बार चलाती है। बाहर दफ्तरों में जाने पर भी वे काम करती हैं, राजनीति में भी चुनकर आई हैं और मुझे गर्व है कि जिस समय वर्ष १९९२ मेंकांग्रेस की सरकार इस जगह पर रही, तब हमारी पंचायती राज व्यवस्था, जिसे हमारे पूर्व युवा प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी जी ने शुरू किया था, में महिलाओं को स्थानीय निकायों में ३३ प्रतिशत आरक्षण दिया गया। महिलाओं ने आगे बढ़कर इसमें हिस्सा लिया, कठिनाइयां भी आईं, उनको बहुत से नाम दिए गए, लेकिन उनके पति लोगों ने उनका साथ दिया। कहीं-कहीं उनका मजाक भी उड़ाया गया लेकिन तब से अब तक के इतने वर्षों में महिलाएं इतनी सक्षम हो गयीं कि उन्होंने जीत, हार और तमाम चीजें देखीं। अब वे समझती भी हैं कि हमारे क्या अधिकार होने चाहिए। आज हम दिल्ली में बैठे हैं, लेकिन गांवों में, रूरल एरियाज में, अर्बन एरियाज में अलग-अलग जगहो पर महिलाओं की अलग-अलग स्थिति है। इसलिए मैं चाहती हूं कि हमें बराबरी से कंधे से कंधा मिलाकर चलने का अवसर मिले।जब देश आजाद हुआ था, महिलाएं बराबरी का अधिकार प्राप्त करते हुए आजादी की लड़ाई में भी कंधे से कंधा मिलाकर चली थीं, चाहे वह रानी लक्ष्मीबाई रही हों, या दूसरी बहुत सी अन्य स्वतंत्रता सेनानी महिलाएं रही हों। लेकिन हमें रिजर्वेशन दिए जाने को कोई न कोई बहाना बनाकर हमेशा टालने की कोशिश की गई है। बहुत सी सरकारें आयीं, लेकिन आज जब हमारी यूपीए की सरकार है, जिसकी अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी जी हैं, वह भी चाहती हैं कि महिलाओं का पूरा रिजर्वरेशन हो। सच्चाई और ईमानदारी से काम करते हुए जिस प्रकार महिलाएं सरकारों में आएंगी, सरकारों में काम करेंगी, महिलाओं की तकलीफों को हल कर सकेंगी, उनके लिए क्या कानून और योजनाएं बननी हैं, उसको ध्यान में रखते हुए काम कर सकेंगी। इसलिए हमें ३३ प्रतिशत आरक्षण राज्य सरकारों और केन्द्र सरकार सहित संसद के दोनों सदनों में मिलना चाहिए। इस आरक्षण में दलित महिलाओं, अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं का आरक्षण होना चाहिए, क्योंकि जो ऐसे पिछड़े हुए क्षेत्रों से आती हैं, जिनको आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता है, जब उनके लिए रिजर्वेशन रखेंगे तो वे उसे लेकर मुखर होंगी, उनमें आत्मविश्वास जिसके साथ वह कह सकती है कि वह भारत की महिला है, उसने भारत में जन्म लिया है ।पश्चिम बंगाल में ४.८ प्रतिशत, आंध्रा प्रदेश में ३.३ प्रतिशत महिलाएं वहां की विधान सभाओं में चुन कर आईं। इस तरह से देखा जाए तो कहीं बढ़ोत्तरी और कहीं कुछ कमी १९९७ तक वभिन्न राज्यों की विधान सभाओं में महिलाओं के प्रतनधित्व में हुई। लेकिन १९९८ में बिहार का आंकड़ा नहीं है, उत्तर प्रदेश का भी नहीं है। केरल, पश्चिम बंगाल का भी कोई आंकड़ा नहीं है। आंध्रा प्रदेश की विधान सभा में ९.५ प्रतिशत महिलाएं चुन कर आईं। इसी तरह से लोक सभा में १९९६ में जब एक संविधान संशोधन पेश किया गया, तो वह संसदीय समति को सौंपा गया। उस समति ने ९ दिसम्बर, १९९६ को ११ वीं लोक सभा में अपनी रिपोर्ट पेश कर दी थी। लेकिन लोक सभा भंग होने के साथ ही वह विधेयक भी समाप्त हो गया।मैं यह कहना चाहती हूं कि हमने ३३ प्रतिशत आरक्षण की मांग की है। हम लोगों ने यह आवाज बुलंद की थी कि जब भारत के संविधान में बराबर का अधिकार सबको दिया गया है, तो हम फिर पीछे क्यों रहें। इसलिए संविधान का सम्मान रखते हुए हमें यह आरक्षण मिलना चाहिए। आज हर जगह महिलाओं के आगे बढ़ने की बात कही जाती हैं। वे आगे बढ़ाती भी हैं, लेकिन स्वयं आगे नहीं आ पातीं। जब तक महिलाओं को आरक्षण नहीं मिलेगा, वे आगे नहीं बढ़ पाएंगी। महिला मेहनती होती है, लेकिन जब उसे सीट देने की या चुनाव में खड़ा करने की बात आती है, तो यह कह कर कि वह कमजोर है, वह लड़ नहीं सकेगी, पीछे कर दिया जाता है। इसे दूर करने के लिए अगर हमें आरक्षण की सुविधा मिलती है, तो मुझे विश्वास है कि महिलाएं पूरी ताकत से इस देश को सम्भालने की शक्ति रखती हैं। देश की पूर्व प्रधान मंत्री इंदिरा जी भी एक महिला थीं, जिन्होंने इस देश को सम्भाला। आज भी पूरा देश, यहां तक कि हमारी विरोधी पार्टियां भी, जिसमें वीएचपी भी है, यह बात कहती हैं क इस देश में अगर किसी ने सही ढंग से शासन किया और इस देश को चलाया तो वह इंदिरा गांधी जी ने चलाया।
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