Hindi, asked by diptijaveri9190, 9 months ago

Ladka ladki ak saman par anuched

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Answered by ArchitPathak
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Answer:

लड़का लड़की एक समान

आज के आधुनिक युग में लड़का -लड़की में कोई अंतर नहीं है। यदि आज भी कोई ऐसी धारणा रखता है के लड़की कुछ नहीं कर सकती तो वो बिल्कुल गलत सोच रहा है। आज लडकियां लड़कों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं वो सब कुछ कर रही हैं जो आज के दौरान लड़के कर सकते हैं। पिछले कुछ वर्षों के दौरान लड़कियों ने हर क्षेत्र में सफ़लता हासिल की और यह साबित किया है के लडकियां प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करने में सक्षम हैं

आज ऐसा समय आ गया है कि लड़कियां बड़े से बड़े कार्य को भी सम्भाल रही हैं पहले की तरह नहीं यहां लडकियों को केवल घर का काम और बच्चे सम्भालने की सिवाए कोई और काम नहीं होता था क्योंकि उस वक्त लड़कियों को शिक्षा नहीं दी जाती थी ।

आज सरकार और समाज ने लड़कियों को बराबरी का दर्जा दिया है सभी वर्गों में लड़का -लड़की दोनों सामान तरक्की कर रहे हैं। कल्पना चावला , झांसी की रानी और सानिया मिर्जा जैसी महिलाओं ने साबित कर दिया है के लडकियां भी किसी से कम नहीं आज कल लडकियां अपने दम पर डॉक्टर , खिलाड़ी , वकील , अध्यापिका , पुलिस , पायलट आदि जैसे सभी महत्वपूर्ण पेशों में अपना नाम रोशन कर रही हैं।

किन्तु देश के कुछ इलाके ऐसे भी हैं यहां पर लड़कियों को भेदभाव की नज़र से देखा जाता है। उन्हें जन्म लेने से पहले ही कोख में मार दिया जाता है और महिलाओं को घरेलू कार्यों और बच्चों के पालन –पोषण तक ही सीमित रखा जाता है जो समाज के लिए बड़ी ही दुखदायक बात है ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए ताकि इस बात को सभी समझ सकें के लड़का लड़की में कोई फ़र्क नहीं है बल्कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व होना चाहिए।

हमें स्वयं ही यह सोचना चाहिए कि हम स्त्री के हर रूप को पसंद करते हैं जैसे हमें माँ चाहिए , पत्नी चाहिए , बहन चाहिए लेकिन हमें बेटी ही क्यों नही चाहिए ? हमें बेटी से ही क्यों घृणा है ?

Answered by bindidevi002
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Explanation:

मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है जो कि समाज में रहता है। इसकी दो जातियाँ पाई जाती है लड़का और लड़की और समाज को सुचारू रूप से चलाने के लिए दोनों की ही समान रूप से आवश्यकता है। लड़का और लड़की एक वाहन के दो पहिए है दो साथ मिलकर जीवन रूपी वाहन को चलाते हैं। यह दोनों ही एक समान है दोनों की अपनी अपनी अहमियत है। इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है लोगों की सोच जो कि उन्हें समानता की दर्जा दे सकती है। इतिहास गवाह है कि प्राचीन काल से ही लड़कियाँ अपनी सुझ बुझ और शक्ति का परीचय देती आई है। वह किसी भी तरह लड़को से कम नहीं है। लोगों की संकुचित सोच ने ही लड़कियों को लड़को से पीछे समझा हुआ हैं। जहाँ लड़की को देवी के रूप में मंदिर में पूजा जाता है वहीं घर और समाज में उसपर शारीरिक और मानसिक रूप से अत्याचार भी किए जाते हैं। मध्य काव में पुरूषों को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता थी जबकि लड़की सिर्फ घर में कैद होकर रहती थी।

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