Hindi, asked by Mannatguni, 1 year ago

Ladka ladki ek saman par nibandh for class 8 in 2 pages Instructions 1 bhoomika 2 nari ki satithi vedic kaal mein 3nari ki satithi purane zamane mein 4nari ki satithi aaj ke yug mein

Answers

Answered by Aarohimehta
24
लड़का-लड़की एक समान, दोनों से ही घर की शान
लड़का-लड़की में असमानताएँ –
लड़का-लड़की की समानताओं को समझने से पहले उनकी असमानताओं को समझना अनिवार्य है | लड़का-लड़की दोनों के कुछ अंगों में अंतर है | परंतु उनके अधिकांश एंड और तंत्र एक जैसे हैं | उनका जन्म, खान-पीन, पाचन-तंत्र, बीमारी, इलाज, मृत्यु आदि लगभग एक-समान हैं | अंतर मात्र प्रजनन-तंत्र का है | उनमें भी वे दोनों सहयोगी हैं | दोनों में से किसी के बिना सृष्टि-तंत्र नहीं चल सकता |
स्वभाव में अंतर – लड़का-लड़की के मन में एक-जैसे भाव होते हैं ; फिर भी उनकी प्रमुखता में अंतर होता है | नारी में कोमलता, भावुकता, व्यवहार-कुशलता अधित होती है | पुरुष में कठोरता, उग्रता, ताकिर्कता अधिक होती है | इस अंतर का मुख्य कारण उनके कर्म हैं | नारी को संतान-पालन का कर्म करना पड़ता है ; इसलिए ईश्वर ने उसे शरीरिक कोमलता और सुकुमारता प्रदान की है | पुरुष को रक्षण और पालन का कर्म करना पड़ता है, इसलिए उसमें कठोरता अधिक होती है | परंतु ये अंतर मुलभुत नहीं हैं | परंतु समाज बस इतने-से अंतर से ही लड़के-लड़की में जमीन-आसमान का अंतर कर देता है |
लड़के को महत्व मिलने का कारण – भारतीय समाज पुरुष-प्रधान है | इसमें पुरुषों को अधिक महत्व दिया जाता है | लड़कियों को मात्र ‘खर्चा’ माना जाता है | इसलिए वे ‘कामधेनु’ जैसी होती हुई भी ‘बोझ’ मानी जाती हैं | धर्म-क्षेत्र में यह धारणा भी प्रचलित है कि पुरुष योनी में ही मोक्ष मिल सकता है | इसलिए लड़के को अनिवार्य माना जाता है | परिवारों में यह धारणा भी प्रचलित है कि लड़के से ही वंश चलता है | व्यावहारिक कारण यह कि लड़की को ‘पराया धन’ मन जाता है | उसे विवाह के बाद पति के घर जाना पड़ता है | अतः हर माता-पिता अपने बुढ़ापे के लिए लड़का चाहते हैं |
लड़की को समान महत्व मिलना चाहिए – लड़के को हर प्रकार अपने लिए उपयोगी मानकर अनके माता-पिता लड़के के लालन-पालन शिक्षा पर अधिक व्यय करते हैं, लड़की पर कम | यस अन्याय है | सौभाग्य से शिक्षित परिवारों में यह अंतर मिटता जा रहा है | आज अवश्यकता एस बात की है कि सभी लोग लड़के-लड़की का अंतर करके लड़की को दबाना उचित नहीं | दोनों को अपनी-अपनी अभिरुचि के अनुसार फलने-फूलने का अवसर दिया जाना चाहिए
Answered by PravinRatta
4

लड़का लड़की एक समान

भारत में नारी को मां दुर्गा का दर्जा दिया जाता है। हमारे धर्म ग्रंथों में लड़की अर्थात नारी को काफी ऊंचा स्थान दिया गया है।

पुराने ज़माने में लड़कियों की इज्जत की जाती थी लेकिन उनके ऊपर कई तरह कि पाबन्दी लगाई जाती थी। जैसे पर्दा में रहना, केवल घरों के अंदर सीमित रहना।

लेकिन अब बहुत बदलाव आएं है। अब लड़की को भी लड़कों के समान समझा जाता है। लड़कियों को भी समान अवसर दिए जाते हैं।

वास्तव में लड़का लड़की एक जैसे हैं। इनमे कोई भेदभाव नहीं है। जो क्षमता लड़को में है वहीं लड़कियों में भी है। इसलिए लड़कियों का सम्मान होना चाहिए।

आज लड़कियां हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं। लड़की लड़को के साथ कदम मिला कर चल रही हैं।

Similar questions