Hindi, asked by neerja02, 1 year ago

ladkiyo ki gadti sankhaya ka karan?? hindi essay​

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Answered by kratika1219
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भारत में कन्या भ्रूण हत्या के मामले 1980 से बदस्तूर जारी हैं, जिससे यहां पुरुषों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है. पुरुषों की बढ़ती जनसंख्या से महिला अपराध में भी वृद्धि दर्ज क ी गयी है.  भारत में पुरुषों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है. न्यूयार्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार पिछले कई दशकों के दौरान हर साल भारत में  तीन से सात लाख कन्या-भ्रूण नष्ट कर दिये जाते हैं. इसलिए यहां महिलाओं से पुरुषों की संख्या 50 मिलियन ज्यादा है. जनसंख्या में असमानता का यह एक मात्र कारण नहीं है. लड़कियों को जन्म के बाद चिकित्सा या पोषण नहीं मिलने से भी उनकी मौत हो जाती है.  पुरुषों की भारी मात्रा में जन्म लेने के कारण महिलाओं और लड़कियों को नुकसान पहुंचा है.  1980 के दशक में शुरू हुई सोनोग्राफी से लड़के की चाह रखनेवाले लोगों को वरदान मिल गया और कन्या- भ्रूण की पहचान कर हत्या की शुरुआत हुई. इस प्रकार से पहचान कर कन्या- भ्रूण की हत्या के कारण भारत में पुरुषों की संख्या में तेजी से उछाल आया. समाज में निरंतर परिवर्तन और कार्य बल में महिलाओं की बढ़ती भूमिका के बावजूद, रूढ़िवादी विचारधारा के लोग मानते हैं कि बेटा बुढ़ापे का सहारा होगा और बेटी हुई, तो वह अपने घर चली जायेगी.  बेटा अगर मुखाग्नि नहीं देगा, तो कर्मकांड पूरा नहीं होगा. भारत में 1994 में महिला भ्रूण की पहचान करनेवाले मेडिकल पेशेवरों के विरुद्ध कानून बना, लेकिन आज भी आसानी से अवैध ऑपरेटर यह काम कर रहे हैं. प्रारंभिक स्तर पर गर्भपात के लिए भारत में कोई कानून नहीं है. कन्या-भ्रूण पता चलते ही उसे खत्म करने का उपाय करने लगते हैं.   लिंगानुपात अंतर से बढ़ी यौन हिंसा शिक्षितों में आम है गर्भपात लिंग चयन और गर्भपात शहरी, मध्यम वर्ग और शिक्षित लोगों में अधिक आम हैं, क्योंकि उनके पास अधिक पैसा और अवैध गर्भपात प्रदाताओं तक पहुंच आसान है. देश भर में कन्या भ्रूण हत्या की दर  भिन्न होता है.

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