lakh ke utpadan Gujarat mein Kaise Hote Hain ????
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लाख एक प्राकृतिक राल है बाकी सब राल कृत्रिम हैं। इसी कारण इसे 'प्रकृत का वरदान' कहते हैं। लाख के कीट अत्यन्त सूक्ष्म होते हैं तथा अपने शरीर से लाख उत्पन्न करके हमें आर्थिक सहायता प्रदान करते हैं। वैज्ञानिक भाषा में लाख को 'लेसिफर लाखा' कहा जाता है। 'लाख' शब्द की उत्पत्ति संस्कृत के 'लक्ष' शब्द से हुई है, संभवतः इसका कारण मादा कोष से अनगिनत (अर्थात् लक्ष) शिशु कीड़ों का निकलना है। लगभग 34 हजार लाख के कीड़े एक किग्रा. रंगीन लाख तथा 14 हजार 4 सौ लाख के कीड़े एक किग्रा. कुसुमी लाख पैदा करते हैं।
लाख, कीटों से उत्पन्न होता है। कीटों को लाख कीट, या लैसिफर लाक्का (Laccifer lacca) कहते हैं। यह कॉक्सिडी (Coccidae) कुल का कीट है। यह उसी गण के अंतर्गत आता है जिस गण का कीट खटमल है। लाख कीट कुछ पेड़ों पर पनपता है, जो भारत, बर्मा, इंडोनेशिया तथा थाइलैंड में उपजते हैं। एक समय लाख का उत्पादन केवल भारत और बर्मा में होता था। पर अब इंडोनेशिया तथा थाइलैंड में भी लाख उपजाया जाता है और बाह्य देशों, विशेषत: यूरोप एवं अमरीका, को भेजा जाता है।
लाख की दो फसलें होती हैं। एक को कतकी-अगहनी कहते हैं तथा दूसरी को बैसाखी-जेठवीं कहते हैं। कार्तिक, अगहन, बैशाख तथा जेठ मासों में कच्ची लाख एकत्र किए जाने के कारण फसलों के उपर्युक्त नाम पड़े हैं। जून-जुलाई में कतकी-अगहनी की फसल के लिए और अक्टूबर नवंबर में बैसाखी-जेठवी फसलों के लिए लाख बीज बैठाए जाते हैं। एक पेड़ के लिए लाख बीज दो सेर से दस सेर तक लगता है और कच्चा लाख बीज से ढाई गुना से लेकर तीन गुना तक प्राप्त होता है। अगहनी और जेठवी फसलों से प्राप्त कच्चे लाख को "कुसुमी लाख" तथा कार्तिक एवं बैसाख की फसलों से प्राप्त कच्चे लाख को "रंगीनी लाख" कहते हैं। अधिक लाख रंगीनी लाख से प्राप्त होती है, यद्यपि कुसमी लाख से प्राप्त लाख उत्कृष्ट कोटि की होती है। लाख की फसल "एरी" हो सकती है, या "फुंकी"। कीटों के पोआ छोड़ने के पहले यदि लाखवाली टहनी काटकर उससे लाख प्राप्त की जाती है, तो उस लाख को "एरी" लाख कहते हैं। एरी लाख में कुछ जीवित कीट, परिपक्व या अपरिपक्व अवस्थाओं में, रहते हैं। कीटों के पोआ छोड़ने के बाद जो टहनी काटी जाती है, उससे प्राप्त लाख को "फुंकी" लाख कहते हैं। फुंकी लाख में लाख के अतिरिक्त मृत मादा कीटों के अवशेष भी रहते हैं।