Hindi, asked by tanzeelimam, 2 months ago

lalach buri bala hai essay in hindi (200 words)​

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Answered by Naziyakhan52
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Answer:

लालच एक आत्मघाती मनोभाव है। वह बुरी चीज है। लालची मनुष्य हमेशा असंतुष्ट रहता है लालच मनुष्य को पतन के मार्ग पर ले जाता है और अंत में उसके लिए घातक सिद्ध होती है।लालच में ऐसी मोहिनी शक्ति है कि मनुष्य की सारी सत्प्रवृत्तियाँ ध्वस्त हो जाती हैं।

आज अपनी सच्चरित्रता से जिसे सम्मान मिला है, कल वही लोभ के कारण चोरी आदि कुकर्म करके औरों की दृष्टि में पतित हो जाता है। लोभ साधु को असाधु बना देता है, ज्ञानी का ज्ञान छीन लेता है। लोभ उचित-अनुचित, न्यायान्याय का विचार नहीं रहने देता और मनुष्य का मनुष्यत्व भी छीन लेता है।

लालची आदमी हिताहित और सत्यासत्य की विवेचना नहीं कर सकता। वह अकार्य को कार्य और अन्याय को न्याय समझता है। क्षुद्र से क्षुद्र लाभ के लिए भी लोभी झूठ बोलता है। प्रतिहिंसा में पडकर वह दूसरे का धन हरने, चोरी करने और डाका डालने का बीड़ा उठा लेता है।

लोभी की आकांक्षा इतनी प्रबल होती है कि वह दूसरे का नाश करने के लिए सदा तत्पर रहता है। लोभी मनुष्य दरिद्र के मुँह का भोजन छीन लेता है, धनी को भिखारी बना देता है,सती का सतीत्व नाश कर देता है और पति को पत्नी से जुदा कर देता है।

लोभी की अभिलाषा जितनी प्रबल होती है, प्रवृत्ति उतनी ही घृणित होती है। उसका परिणाम अति ही शोचनीय और भयंकर होता है। पेटू मनुष्य मुफ्त का भोजन पा लूंस-ठूसकर खा लेता है और कठिन रोगों के पंजे में पड अपने पाप का परिणाम भोगता अकाल ही में काल के गाल में समा जाता है।

लोभी मनुष्य और पशु में कोई भेद नहीं होता। । हम अगर सुसंस्कृत मनुष्य बनकर जीवन जीना चाहते हैं तो उचित है कि इंद्रिय-संयम सीखे और लोभ का दमन करें। लोभ का त्याग करने से ही मनुष्य की आत्मा उन्नत हो सकती है। यदि हम अपनी आर्थिक और मानसिक उन्नति चाहते हैं तो लालच छोडने का अभ्यास बचपन से लगाएँ, वरना पीछे हाथ मल-मलकर पछताना पडेगा। कारण

“मक्खी बैठी दूध पर, पंख गए लपटाय।

हाथ मले अरु सिर धुने लालच बुरी बलाय।"

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