Hindi, asked by sidrasiddiqui47247, 7 days ago

lalach buri bala hai story moral in hindi​

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Answered by Vaish2934
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लालच बुरी बला है| हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए|  जो भी इंसान लालच करता है वह अपनी लाइफ में कभी भी खुश नहीं रह सकता|  हमें अपनी मेहनत या किस्मत का जितना भी मिल गया| उससे अपना काम निकालना चाहिए 

लेकिन अगर हम थोड़ा ज्यादा के चक्कर में लालच करेंगे तो हमारे पास अभी जितना है उससे भी हाथ धोना पड़ सकता है|  इसलिए कहते है ज्यादा लालच अच्छा नहीं होता| अपने सुना ही होगा 

उम्मीद है कहानी अच्छी लगी होगी आप सभी को 

एक गाँव में एक कुत्ता था | वह बहुत लालची था| ते भोजन की शोधामध्ये इधर – उधर भक्त रहा | पण काही त्याला भोजन नाही | शेवटी एका हॉटेलच्या बाहेरच्या मांसाचा एक तुकडा मिलाला| तो त्याला एका ठिकाणी बैठकर खाना चाहता था| त्यामुळे तो त्याला भाग गेला | एकांत स्थळ शोधते – ते एका नदीच्या काठावर पोहोचले| अचानक त्याने आपल्या परछाई नदीत पाहिले | तिने समजावले पाणी

तिने सोचा कशासाठी न बोलता तुकडा छीन घेतला तो खाण्यासाठी मजा दोगुना होईल| वह उस पर जोर से भौंका| भौंकने आपल्या मांसाचा तुकडाही नदीत गिरवले| आता तो आपला तुकडाही खो बसा| अब वह बहुत पछताया मुँह लटकाता हुआ गाँव को वापस आ गया|

Answered by Shreyas235674
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Answer:लालच बुरी बला है| हमें कभी भी लालच नहीं करना चाहिए|  जो भी इंसान लालच करता है वह अपनी लाइफ में कभी भी खुश नहीं रह सकता|  हमें अपनी मेहनत या किस्मत का जितना भी मिल गया| उससे अपना काम निकालना चाहिए  लेकिन अगर हम थोड़ा ज्यादा के चक्कर में लालच करेंगे तो हमारे पास अभी जितना है उससे भी हाथ धोना पड़ सकता है|  इसलिए कहते है ज्यादा लालच अच्छा नहीं होता| अपने सुना ही होगा  

उम्मीद है कहानी अच्छी लगी होगी आप सभी को  

एक गाँव में एक कुत्ता था | वह बहुत लालची था| ते भोजन की शोधामध्ये इधर – उधर भक्त रहा | पण काही त्याला भोजन नाही | शेवटी एका हॉटेलच्या बाहेरच्या मांसाचा एक तुकडा मिलाला| तो त्याला एका ठिकाणी बैठकर खाना चाहता था| त्यामुळे तो त्याला भाग गेला | एकांत स्थळ शोधते – ते एका नदीच्या काठावर पोहोचले| अचानक त्याने आपल्या परछाई नदीत पाहिले | तिने समजावले पाणी

तिने सोचा कशासाठी न बोलता तुकडा छीन घेतला तो खाण्यासाठी मजा दोगुना होईल| वह उस पर जोर से भौंका| भौंकने आपल्या मांसाचा तुकडाही नदीत गिरवले| आता तो आपला तुकडाही खो बसा| अब वह बहुत पछताया मुँह लटकाता हुआ गाँव को वापस आ गया|

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