laldhar ne iswar ka was kaha banaya tha
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क) प्रथम सुख निरोगी काया
स्वास््य और ज वन, अस्वस्ि व्यक्तत की दशा, स्वास््य रक्षा के उपाय,।
ख) विद्याथी जीिि-आदर्ध जीिि
म त्वपूर्ा अवस्िा, भववष्ट्य का ननमाार्, अनुशासन, अध्ययन, कताव्य ननष्ट्ठा, उच्च आदशा,
ज वन का िक्ष्य।
ग) विद्यालय का िावषधक उत्सि
ववदयािय की सजावट, मुख्य अनतथि का स्वागत, साींस्कृनतक कायक्रा म, प्राचाया का प्रनतवेदन,
पाररतोवषक ववतरर्, अध्यक्ष य भाषर् |
बरखा गीत कविता में प्रयुक्त प्रतीकों को समझाइएइतिहास साक्षी है बहुत बार अकेले चने ने ही 4 बार थोड़ा है और थोड़ा है कि बार-बार में खिल खिल ही नहीं हो गया उसका निशान तक छूमंतर हो गया है नैना जान पाया कि बेचारा आखिर था कहां इसका हिंदी से संदर्भ प्रसंग सहित इस कविता में मारी के प्रति व्यक्त विचारों पर टिप्पणी लिखिएशंकर को किसके ईद-गिर्द घूमते हुए
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भगाया गया था?*
O कॉफी हाउस
O O
गर्ल्स कॉलेज
O सिनेमाघर
गर्ल्स हॉस्टल घर में विधवा रही पतोहू लक्ष्मी कि यद्यपि पति कहां से पकड़ मंगाया कोतवाल दूर कुएं में मरीज 1 दिन के पैर की जूती जोर न सही एक दूसरी आती पर जवान लड़के की जो सुनकर सांप लोट लौटते फटती छातीl
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यह सवाल आज भी उतना ही ताजा है जितना की प्राचीन काल में हुआ करता था। ईश्वर के होने या नहीं होने की बहस भी प्राचीन काल से चली आ रही है। अनिश्वरवादी मानते आए हैं कि यह ब्रह्मांड स्वत:स्फूर्त है, लेकिन ईश्वरवादी तो इसे ईश्वर की रचना मानते हैं। अधिकतर लोग धर्मग्रंथों में जो लिखा है उसे बगैर विचारे पत्थर की लकीर की तरह मानते हैं और कट्टरता की हद तक मानते हैं।
वेद, पुराण, ज़न्द अवेस्ता, तनख (ओल्ड टेस्टामेंट), बाइबल, कुरान और गुरुग्रंथ आदि सभी धर्मग्रंथ ब्रह्मांड को ईश्वरकृत मानते हैं। लेकिन दर्शन और विज्ञान अभी भी इसके बारे में बहस और शोध करते रहते हैं।