Last point
रूठा जमाना जिंदगी भी रूठी,
तभी तो तेरे-मेरे बीच ये दूरी छूटी,
समझ लेना तुम है ये मेरी मजबूरी,
वरना न आने देती तेरे-मेरे बीच यह दूरी।
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अजीब सी बस्ती में ठिकाना है मेरा जहाँ लोग मिलते कम झांकते ज़्यादा है
बात मुक्कदर पे आ के रुकी है वर्ना, कोई कसर तो न छोड़ी थी तुझे चाहने में !
किसी को क्या बताये की कितने मजबूर है हम.. चाहा था सिर्फ एक तुमको और अब तुम से ही दूर है हम।
वहां तक तो साथ चलो जहाँ तक साथ मुमकिन है,
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