Lay kise khete h sangeet m
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लय – संगीत की एक समान गति को लय कहा जाता है | विद्वानों के मतानुसार दो क्रियाओं के बीच में रहने वाला एक समान अवकाश लय का निर्माण करता है | इस अवकाश या विश्राम के कम या ज्यादा होने से लय भी बढती या घटती रहती है | लय के तीन प्रकार हैं –
विलंबित लय – जब दो मात्राओं के बीच में रहने वाला अवकाश या विश्राम अधिक हो तो वह लय विलम्बित लय कहलाती है | यह मध्य लय से दुगनी कम गति की होती है |
मध्य लय - जब दो मात्राओं के बीच में रहने वाला अवकाश या विश्राम कम हो तो वह लय मध्य लय कहलाती है | यह विलम्बित लय से दुगनी अधिक गति की होती है | वर्तमान समय में इस विश्राम को एक सेकंड का माना जाता है |
द्रुत लय - जब दो मात्राओं के बीच में रहने वाला अवकाश या विश्राम मध्य लय से भी अधिक कम हो तो वह लय द्रुत लय कहलाती है | यह मध्य लय से दुगनी अधिक गति की होती है |
लय की उपस्थिति आदि काल से ही उपनिषदों और प्राचीन ग्रंथों में मिलती है | संगीतकार सर्वप्रथम एक लय धारण कर अपनी प्रस्तुति देता है, फिर उस लय में बाकी लय भेदों का अनुसरण करते हुए सरगम, तान, आदि का उपयोग कर चमत्कार उत्पन्न करता है | संगीत लयबद्ध तथा तालबद्ध हो कर ही जीव-मात्र के मन में आनंद और रस की अनुभूती करा सकता है | कुदरत भी लयबद्ध ही है परन्तु कुदरत की लय में फर्क आ जाये तो प्रलय या विनाश तय है | परन्तु इसके उलट संगीत में लय के फर्क या लयकारी से चमत्कार उत्पन्न कर श्रोताओं को आनंद विभोर कर सकते हैं | जिस कलाकार की लय पर जितनी पकड़ होगी उसका उतना ही मान-सम्मान बढ़ता है |