लडकी अंतमथखु हुई तो कयाहोताहै?
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मौन... केवल वाणी से कुछ न कहने का नाम नहीं, मौन तो एक क्रिया है जो आपकी चुप्पी से शुरू होती है और गहन सत्य की खोज तक अनवरत चलती रहती है। कुछ न कहना तो मौन की शुरूआत मात्र है, वास्तविकता में मौन दसों इन्द्रियों को बाहर से हटाकर अंतस की ओर केन्द्रित करना है। मन वचन और काय तीनों की बाहरी सक्रियता को समाप्त करना ही मौन होना है। मौन आत्मसंवाद के लिए निमित्त बनता है और एक साधना पद्धति भी जिसके जरिए आत्मा को परमात्मा बनाया जा सकता है।
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भगवान महावीर का जन्म कल्याणक महोत्सव में हम कुछ ही दिनों में मनाने जा रहे हैं। हर साल इस अवसर पर हम उनकी पूजा करते हैं, अभिषेक करते हैं, भव्य जुलूस निकालते हैं। इस वर्ष भी हम शायद ऐसा ही करेंगे लेकिन इसके साथ हमें और क्या करना चाहिए, यह भी हमारे लिए सोचने का विषय है। अगर हम इतिहास और शास्त्रों पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि भगवान महावीर के जन्म कल्याणक की जो सार्थकता है, वो कहीं न कहीं हमसे चूक रही है।