"लडका- लडकी एक समान" इस विषय पर निबंध
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आजकल के इस ज़माने में लड़का लड़की में कोई भेद नहीं है। पहले के ज़माने में अक्सर लोग यह मानते थे कि लड़कियां जीवन में लड़को से कभी आगे नहीं बढ़ सकती है। लड़कियों का स्कूल जाना और पढ़ना- लिखना अच्छा नहीं समझा जाता था। लड़कियों को सिर्फ घरेलू कार्यो में गिना जाता था। लड़कियों की छोटी उम्र में शादी कर दी जाती थी और उनके सपने भी समाप्त हो जाते थे। मगर आज ऐसा नहीं है , लड़कियां कई क्षेत्रों में लड़को से आगे निकल गयी है। दसवीं और बारहवीं कक्षा में लड़कियां स्टेट टोपर बनके अपने आपको साबित कर रही है। लड़कियों ने समाज को साबित कर दिया है कि वह हर एक कार्य को करने में सक्षम है।
अभी भी लोगो में जागरूकता फैलाना आवश्यक है कि ऐसी कोई भी चीज़ या काम नहीं है , जो लड़कियां ना कर सकती हो। आजकल कामकाजी महिलाएं अपना घर और दफ्तर इत्यादि कोई भी पेशा बखूभी निभा रही है। लड़कियां सटिकता से पुरुषो को घर के खर्चो में मदद कर रही है और उनकी हिम्मत भी बन रही है। पुरुषो से कंधा से कन्धा मिलाकर वह चल रही है। लड़को की तरह लड़कियां हर कार्य में निपुण है। यह कहना गलत ना होगा कि लड़कियों ने कई क्षेत्रों में लड़को को पीछे छोड़ दिया है।
लड़कियां पढ़- लिखकर डॉक्टर , पुलिस इंस्पेक्टर , कलेक्टर , शिक्षिका और पायलट इत्यादि बनकर , अपने परिवार का नाम रोशन कर रही है। कल्पना चावला अंतिरिक्ष तक पहुँच गयी थी। भारत आजाद होने से पहले रानी लक्ष्मीबाई ने अपने शौर्य और पराक्रम का परिचय दिया था। अभी भी देश में कुछ जगह ऐसी है जहाँ लड़कियों को उनके शिक्षा से वंचित रखा जाता है। कन्या भ्रूण हत्या जैसे निंदनीय अपराध आज भी समाज में हो रहे है। ऐसे अपराधों में लड़कियों को माँ के पेट में जन्म से पहले मार दिया जाता है। सरकार को ऐसे अपराधों को रोकने के लिए और अधिक सख्त कदम उठाने होंगे।
अभी भी लोगो में जागरूकता फैलाना आवश्यक है कि ऐसी कोई भी चीज़ या काम नहीं है , जो लड़कियां ना कर सकती हो। आजकल कामकाजी महिलाएं अपना घर और दफ्तर इत्यादि कोई भी पेशा बखूभी निभा रही है। लड़कियां सटिकता से पुरुषो को घर के खर्चो में मदद कर रही है और उनकी हिम्मत भी बन रही है। पुरुषो से कंधा से कन्धा मिलाकर वह चल रही है। लड़को की तरह लड़कियां हर कार्य में निपुण है। यह कहना गलत ना होगा कि लड़कियों ने कई क्षेत्रों में लड़को को पीछे छोड़ दिया है।
आजकल कई घरो में पुरुषो ने महिलाओ के प्रतिभा को समझकर उन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया है। वह अपने पत्नी के फैसलों और उनके सोच का सम्मान करते है। परिवारों में महिलाओ के सोच को हर सदस्य सम्मान देता है। वहीं ऐसे कुछ लोग है जो लड़कियों को घरो के कार्यो में मसरूफ रखते है और शिक्षित होने के बावजूद भी उन्हें बाहर काम करने नहीं दिया जाता है। प्रतिष्ठा और मान सम्मान के नाम पर कुछ महिलाएं घरो के चार दीवारी में कैद हो जाती है। कुछ परिवारों में लड़कियों को प्यार और सम्मान नहीं दिया जाता है जितना लड़को को दिया जाता है। ऐसे घरो में लड़कियों को आगे की पढ़ाई के लिए कॉलेज नहीं भेजा जाता है। लड़कियों की मर्ज़ी के विरुद्ध परिवार वाले उनका विवाह कर देते है और लड़कियों को अपना मन मारना पड़ता है। सदियों पहले बेटियों के जन्म पर माँ को कोसा जाता था। दहेज़ के नाम पर नारियों का शोषण आज भी कई घरो में हो रहा है। दहेज़ और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओ के खिलाफ सरकार ने कई नियम लागू किये है। आज भी यह अपराध हो रहे है। इस पर अंकुश लगाना ज़रूरी है।
रानी लक्ष्मीबाई ने झांसी की आज़ादी के लिए लड़कर अपने वीरता और शौर्य का परिचय दिया था |वह तब के ज़माने में अन्याय और अंग्रेज़ो के अत्याचारों के खिलाफ आवाज़ उठाती थी | उन्होंने निडर होकर अंग्रेज़ो का सामना किया और वीरगति को प्राप्त हुयी |
पहले वंश को आगे बढ़ाने के नाम पर लड़को को अधिक अहमियत दी जाती थी। लोग पहले यह भूल गए थे कि घर की रोशनी तो लड़कियों की उन्नति से भी होती है। अभी भी बहुत सारे गाँव में लड़कियां अशिक्षित है। इसलिए लोगो को जागरूक करना आवश्यक है। वक़्त के साथ साथ अब समाज भी महिलाओं के सोच का सम्मान कर रहा है। उस पर हो रहे अत्याचारों का विरोध समाज कर रहा है।
लड़कियों के संग आज भी कुछ घरो में बुरा बर्ताव हो रहा है। कई घरो में वह घरेलू हिंसा का शिकार हो रही है। इस पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने कई सख्त नियम बनाये है। पहले के ज़माने में नारियों का बेहद तिरस्कार किया जाता था। महिलाओं की सहनशक्ति का परिचय हमेशा से समाज ने लिया है। आज संतुष्टि है कि इस दकियानूसी सोच में परिवर्तन आ गया है। जहाँ देवी माँ की पूजा की जाती है , वहाँ नारियों का सम्मान किया जाना चाहिए। आज नारियों को किसी भी प्रकार के अधिकार से वंचित नहीं रखना चाहिए। अगर लड़कियां शिक्षित होगी तो वह अपने दायित्व को अच्छी तरह से समझ पाएगी। अपने सारे कर्तव्यों को बेहतर तरीके से निभा पाएगी।
अभी वक़्त बदल गया है। आज के आधुनिक युग में लड़कियों को प्राथमिकता दी जाती है। सरकार की तरफ से लड़कियों के हित में बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ जैसे अभियान चलाए जा रहे है। लड़कियों के आगे की पढ़ाई के लिए प्रोत्साहन और छात्रवृति दी जा रही है।
निष्कर्ष
जब लड़कियां शिक्षित होगी , तब देश की उन्नति भी होगी। समाज की सोच और विचारधारा भी उन्नत हो गयी है। अब लड़कियों के जन्म पर दुःख नहीं खुशियां मनाई जाती है। लड़का -लड़की एक सामान है , यह अब हमारे देश ने अच्छी तरह से समझ लिया है। उम्मीद है कि सारे देशवासी इस बात को सिर्फ कहेंगे नहीं बल्कि अमल भी करेंगे। अतः लड़का -लड़की एक समान है और भेदभाव करना सरासर गलत है।