learning task 2
evaluate the algebraic expression
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बहुत से मनुष्य सोच सोच कर कि हमें कभी सफलता नहीं मिलेगी देव हमारे विपरीत हैं अपनी सफलता को अपने ही हाथों पीछे धकेल देने देखते हैं उसका मानसिक भाव सफलता और विजय के अनुकूलन बनता है ही नहीं तो सफलता और विजय कहा यदि हमारे मन अंशिका निराशा से भरा है तो हमारे कामों का परिचय भी निराशाजनक ही होगा क्योंकि सफलता के पीछे की उन्नति की कुंजी तो आता ही है ( इस गद्यांश का अर्थ अपने शब्दों में लिखिए)
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mhaevenjhon:
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