lekh on agar mei jadugar hoti in 500 words
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जादूगर हमारी तरह ही आम इंसान होता हैं जिसके हाथ की सफाई के कारण वह विभिन्न तरह के छोटे छोटे खेल दिखाता हैं, वह जादू की छड़ी यानी एक छोटी सी लकड़ी के टुकड़े की मदद से सभी कार्य करता हैं. यह व्यक्ति उन जादू टोने करने वाले तांत्रिकों से अलग होता हैं जिसकें पास ब्लेक मैजिक जैसी कोई वस्तु नहीं होती हैं यह केवल खेल दिखाकर अपनी आजीविका कमाता हैं.
एक जादूगर को सड़क किनारे या बाजार के अधिक भीड़भाड़ वाले स्थलों पर देखा जा सकता हैं. ये मेले के आयोजनों का लाभ भी उठाते हैं. पायजामा ढीला कुर्ता और एक चद्दर इनकी वेशभूषा को दर्शाते हैं. अमूमन जादूगर के खेल के अधिक शौकीन बच्चें होते हैं स्कूलों के पास यह अपनी प्रदर्शनी लगाकर तरह तरह के जादू दिखाता हैं.
जादूगर ऐसे स्थान को अपना जादू दिखाने के लिए चुनता है जहाँ 20-25 लोग आसानी से घेरा लगाकर खड़े हो जाते हैं. बांसुरी और डमरू इनके सहायक साधन है वह अपना खेल शुरू करने से पूर्व इन्हें कई बार बजाता हैं, बच्चें इसकी आवाज सुनकर समझ जाते है कि कोई जादूगर है और उसका खेल देखने के लिए भागे आते हैं.दुनियां के कई देशों में भारतीय जादूगर अपनी अनूठी कलाओं के लिए जाने जाते हैं. ये पीतल की एक बेल्ट को बारी बारी से उछालकर बड़ी चतुराई से पकड़ लेता है, इसका खेल 15 से 20 मिनट में समाप्त हो जाता हैं. खरगोश, कबूतर, सांप जैसे जानवर तथा ताश के पत्तों के साथ अमूमन जादूगर अपना खेल दिखाता हैं.वह अपना खेल शुरू करने से पूर्व लोगों से विनम्रतापूर्वक कई बार विनती करता है कि वे खेल को खराब न करे यह उसकी रोजी रोटी का सवाल हैं. इस तरह वह भावनात्मक सम्बन्ध स्थापित कर लेता हैं. दर्शक लगातार उसके खेल को टकटकी लगाकर देखते हैं. शायद बहुत कम या बिना गलती किये वह अपना खेल पूरा कर लेता है तथा लोगों से पांच दस रूपये मांगता हैं. सर्कस में भी जादूगर होते है जो सड़क किनारे जादू दिखाने वाले आम जादूगरों के बेहतरीन श्रेणी के खेल दिखाकर दर्शकों का मन मोह लेता हैं.