lekhak ke anusar sudh rashtriya kab aur kaise aayega?
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Explanation:
निबंधकार राहुल सांकृत्यायन ने अपने निबंध दिमागी गुलामी में राष्ट्रीयता के विषय में विस्तार पूर्वक विचार व्यक्त करते हुए लिखा है कि बीसवीं शताब्दी के के आरंभ में हमारे देश के युवा शिक्षकों में राष्ट्रीयता की बाढ़ सी आ गई लेकिन यह राष्ट्रीयता प्रशासकीय होने पर भी काफी अंशों में आंधी राष्ट्रीयता थी आगे निबंधकार ने लिखा है कि भारतीय समाज की वर्ण जाति पाती व्यवस्था की शुद्ध राष्ट्रीयता के मार्ग में बंधक है
अतः लेखक के अनुसार शुद्ध राष्ट्रीयता तब तक नहीं आएगी जब तक हम जाती पाती की दीवारों को तोड़कर सबको समान दृष्टि से नहीं देखते हैं और सभी के प्रति स्वभाव रखतेहुए समान व्यवहार नहीं करते हैं इसी इसके लिए आज से बारी शांति की अपेक्षा मानसिक क्रांति की अधिक जरूरत है क्योंकि मानसिक दासता के कारण ही हमारी राष्ट्रीय भावनाएं संकीर्णता के दलदल से निकल नहीं पा रही है