lekhak ko pedh or thuth me kya anter dikhai diya
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hey mate your answer is here ⬇️
यहां पर लेखक जी ने बहुत ही अच्छे तरीके से जीवन की मौलिक ढाँचे के बारे में जिक्र किया हैं| पेड़ को लेखक जी ने जीवन से ताल-मेल बैठा कर आगे बढ्ने वाले व्यक्तिओं के साथ तुलना किया हैं| इन लोगों का जीवन एक आकर्षक और हरे-भरे पेड़ की भांति हर वक़्त आनंदमय बन कर रहता हैं|
वहीं दूसरी तरफ लेखक ने ठूंठ को जीवन के परिस्थितिओं में अड़ कर रहने वाले व्यक्तिओं के संदर्भ में कहा हैं| इन व्यक्तिओं का जीवन हमेशा से ही खामोश और बेढंग सा प्रतीत होता हैं|
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plz....see the pic..
hope it helps u..
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