lekhak Ne Poshak ki tulna kisse aur Kyon Ki Hai ? chapter - dukh ka adhikar CBSE class 9
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लेखक ने पोशाक की तुलना वायु की लहरों से की है। जिस प्रकार वायु की लहरें कटी हुई पतंग को एकदम नीचे नहीं गिरने देती और बहुत दूर तक हवा की लहरों के साथ बहती रहती हैं उसी प्रकार अच्छी पोशाक मनुष्य को सहसा ही नीचे झुकने तथा साधारण लोगों से मिलने -जुलने का अवसर नहीं देती हैं।
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लेखक ने पोशाकों को तुलना हवा में लहराती उन कटी पतंगों से की गई जो हवा के झोंकोंंके कारण सीधी जमीन पर नहीं गिर पाती है।
- लेखक ने " दुख का अधिकार " पाठ में यह बात स्पष्ट की है कि आजकल व्यक्ति की पोशाक के आधार पर उसकी श्रेणी का निर्धारण किया जाता है।
- जब कोई व्यक्ति अच्छी पोशाक पहनकर कहीं जा रहा होता है तथा यदि वह उसी समय किसी निचली श्रेणी के व्यक्ति को या गरीब व्यक्ति को दुखी देखता है तो वह उसके दुखों से पीड़ित होकर उसकी मदद करना चाहता है परन्तु उस वक्त वह अपनी पोशाक के कारण चाहकर भी उसकी सहायता नहीं कर पाता ।
- ऐसे व्यक्तियों की पोशाक की तुलना लेखक ने कटी पतंग से की है जो सीधी जमीन पर नहीं गिर पाती। लेखक के कहने का तात्पर्य है कि ऐसे व्यक्ति उस पतंग की तरह नीचे झुकना नहीं चाहते।
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