lekhak vivek rai ne falguni parivartan ko kranthi kyu kaha hai
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लेखक ने फाल्गुनी परिवर्तन को क्रांति इसलिए कहा है, क्योंकि फाल्गुन मास में बहने वाली हवा विशेष हवा होती है।
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लेखक ने फाल्गुनी परिवर्तन को क्रांति क्यों कहा है
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लेखक ने फाल्गुनी परिवर्तन को क्रांति क्यों कहा है
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लेखक ने फाल्गुनी परिवर्तन को क्रांति इसलिए कहा है, क्योंकि फाल्गुन मास में बहने वाली हवा विशेष हवा होती है। इस हवा के प्रभाव में आकर क्या बच्चे, क्या बूढ़े सब मदमस्त हो जाते हैं। सब जिंदगी के रंग में ढल जाते हैं। उस समय उन्हें बेकारी, बेरोजगारी, दुख आदि जैसी बातों की परवाह नहीं होती। सब अपनी जिंदगी की विषमताओं को भूल कर उल्लास के वातावरण में मगन हो जाते हैं। फाल्गुन मास के प्रभाव से वृद्ध लोग भी युवाओं की भांति व्यवहार करने लगते हैं, लोगों के इस व्यवहार परिवर्तन के कारण ही लेखक ने फाल्गुन मास में फाल्गुनी परिवर्तन को क्रांति कहा है।
वंसत ऋतु में फाल्गुन माह के प्रभाव के विषय में प्रस्तुत निबंध लिखा गया है। मौसम के प्रभाव से वृद्ध लोग भी युवाओं की भाँति व्यवहार करने लगते है। समस्त वातारण में मस्ती का माहौल छा जाता है। किसी भी अन्य मौसम का प्रभाव इतना व्यापक और मस्ती भरा नहीं होता जितना कि फाल्गुन माह का कौआ (पक्षी) आँगन मे कांव कांव करके अतिथि के आगमन की सूचना देता है, लोग नृत्य, गाने एवं मस्ती में पूरी तरह डूब जाते हैं। फगुनाहट की हवा बहने पर गायन की इच्छा जाग्रत होने लगती है। फगुनहट के रंग में संसार के दुख कुछ समय के लिए समाप्त प्राय हो जाते है एवं मनुष्य मात्र को प्रफुल्लित कर देते है।
लेखक ने फाल्गुनी परिवर्तन को क्रांति इसलिए कहा है, क्योंकि फाल्गुनी हवा वातावरण में ऐसा माहौल बना देती है, कि कोई न चाहते हुए भी उस मादकता भरे माहौल में रंग जाता है क्रांति किसी के चाहने न चाहने से नहीं होती • उसी प्रकार फाल्गुनी हवा जड़-चेतन, युवा वृद्ध सभी को प्रभाभित कर देती है।
#SPJ3