letter on flood in hindi in 150 words
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जल ही जीवन है । यह उक्ति पूर्णतया सत्य है । परंतु जिस प्रकार किसी भी वस्तु की अति या आवश्यकता से अधिक की प्राप्ति हानिकारक है उसी प्रकार जल की अधिकता अर्थात् बाढ़ भी प्रकृति का प्रकोप बनकर आती है जो अपने साथ बहुमूल्य संपत्ति संपदा तथा जीवन आदि समेटकर ले जाती है ।
गंगा गोदावरी ब्रह्मपुत्र गोमती आदि पवित्र नदियाँ एक ओर तो मनुष्य के लिए वरदान हैं वहीं दूसरी ओर कभी-कभी प्रकोप बनकर अभिशाप भी बन जाती हैं । हमारे देश में प्राय: जुलाई- अगस्त का महीना वर्षा ऋतु का है जब तपती हुई धरती के ज्वलन को छमछमाती हुई बूँदें ठंडक प्रदान करती हैं । नदियाँ जो सूखती जा रही थीं अब उनमें जल की परिपूर्णता हो जाती है ।
सभी स्वतंत्र रूप से बहने लगती हैं । यह वर्षा ऋतु और इसका पानी कितने ही कृषकों व श्रमजीवियों के लिए वरदान बन कर आता है । परंतु पिछले वर्ष हमारे यहाँ बाद का जो भयावह दृश्य देखने को मिला उससे मेरा ही नहीं अपितु सभी व्यक्तियों का हृदय चीत्कार कर उठा ।