लगाघाव भारत के पराक्रम की कहानी कह रहा था।
यूनानी आक्रमणकारियों व
1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(क) सिकन्दर के पिता का क्या नाम था?
(ख) उसकी क्या बनने की इच्छा थी?
(ग) किस राजा की सेना ने सिकन्दर की सेना को नाकों चने चबवा डाले?
(घ) उसकी सेना क्यों डर गयी?
(ङ) चाणक्य पाटलिपुत्र क्यों गये?
(च) घनानन्द को महापद्मनन्द क्यों कहते थे?
(छ) सिकन्दर को लौटते समय क्या क्या कठिनाइयाँ आई ?
(ज) सिकन्दर के जीवन की सबसे बड़ी भूल क्या थी ?
(झ) उसका उसको क्या दण्ड मिला?
Answers
Answer:
1.सिकंदर के पिता का नाम फिलीप द्वितीय था
2.सिकंदर विश्व विजेता बनने की चाहत रखता था
3.कश्मीर का राजा पोरस, जिसने सिकंदर ओर उसकी सेना को विश विजई होने से रोका।
4.कठ जाति के लोग अपने साहस के लिए जानी जाती थी। यह भी माना जाता है कि इन सभी गणराज्यों को एक साथ लाने में आचार्य चाणक्य का भी बहुत बड़ा योगदान था। इस सभी गणराज्यों ने सिकंदर को काफी नुकसान भी पहुंचाया था जिससे सिकंदर की सेना बेहद डर गई थी।
Answer:
लगाघाव भारत के पराक्रम की कहानी कह रहा था।
Explanation:
(क) सिकन्दर के पिता का क्या नाम था?
सिकंदर के पिता का नाम फिलिप द्वितीय
(ख) उसकी क्या बनने की इच्छा थी?
सिकंदर (Alexander The Great) महान विश्व विजेता बनने का सपना लेकर एशिया की तरफ बढ़ा था। उससे पहले सिकंदर ने अपने आसपास के राज्यों को जीता था। उसकी सेना विशाल होने के साथ ही कुशल भी थी। सिकंदर की सबसे बडी जीत उस समय के सबसे बड़े साम्राज्य फारस “पर्शिया” को जीतना था
ग) किस राजा की सेना ने सिकन्दर की सेना को नाकों चने चबवा डाले?
हम बात कर रहे हैं राजा पोरस की.
कश्मीर का राजा पोरस,जिसने सिकंदर ओर उसकी सेना को विश विजई होने से रोका।पोरस ने झेलम नदी के किनारे सिकंदर का सामना किया।यद्धपि वह पराजित हुए परंतु सिकंदर को बहुत नुकसान झेलना पड़ा।बन्दी बनाया जाने के बाद सिकंदर ने पोरस से पूछा कि उसके साथ कैसा व्यवहार किया जाए।तो पोरस ने कहा कि जैसे एक राजा दूसरे राजा के साथ करता है।
घ) उसकी सेना क्यों डर गयी?
इसमें कठ गणराज्य के साथ हुई लड़ाई काफी बड़ी थी। आपको बता दें कि कठ जाति के लोग अपने साहस के लिए जानी जाती थी। यह भी माना जाता है कि इन सभी गणराज्यों को एक साथ लाने में आचार्य चाणक्य का भी बहुत बड़ा योगदान था। इस सभी गणराज्यों ने सिकंदर को काफी नुकसान भी पहुंचाया था जिससे सिकंदर की सेना बेहद डर गई थी।
ङ) चाणक्य पाटलिपुत्र क्यों गये
जैसा की हम जानते है कि चाणक्य पाटलिपुत्र में निवास करते थे।उस समय पाटलिपुत्र मगध साम्राज्य की राजधानी थी और मगध साम्राज्य पर नन्द वंश का शासन था।उस समय नन्द वंश का राजा घनानंद था जो स्वभाव से क्रूर था तथा हमेशा प्रजाहित को छोड़कर आनंदमयी जीवन जी रहा था।
इस स्थिति से क्रुद्ध होकर चाणक्य ने उसे सुझाव भी दिया लेकिन उसने इस सुझाव को मानते हुए इसके उलट पूरे राजसभा में चाणक्य को अपमानित किया। चाणक्य ने उसी क्षण घनानंद को चुनौती दिया की ‘तुम्हारा यह विशाल साम्राज्य मैं नष्ट करके रहूँगा’।और उसी दिन से वह इस कार्य हेतु गंभीरता से सोचने लगे
(च) घनानन्द को महापद्मनन्द क्यों कहते थे?
पुराणों के अनुसार उग्रसेन का नाम महापद्मनंद इसलिए पड़ा क्योंकि उसके पास 10 पदम सेना अथवा इतनी ही संपत्ति थी. प्राय सभी ग्रंथों में उसे नाई जाति का बताया गया है. यूनानी लेखक कर्टियस ने सिकंदर के समकालीन नंद सम्राट धनानंद के विषय में लिखा है कि घनानंद का पिता महापद्मंनंद नाई जाति का था.
छ) सिकन्दर को लौटते समय क्या क्या कठिनाइयाँ आई ?
धनानंद नंद वंश का आखिरी सम्राट था । उस समय सिकंदर अपने विश्वविजय के सपने के लिए भारत की ओर अग्रसर हो चुका था । इधर मगध में धनानंद के विरूद्ध आचार्य चाणक्य और चन्द्रगुप्त मौर्य ने विद्रोह शुरू कर दिया था। जब तक सिकंदर भारत पहुंचा था ( झेलम के किनारे) तब तक मगध साम्राज्य चन्द्रगुप्त के हाथ आचुका था ।
तो कह सकते है कि धनानंद सिकंदर के समकालीन था यानी दोनों का समय एक ही है
(ज) सिकन्दर के जीवन की सबसे बड़ी भूल क्या थी ?
कठ जाति के लोग अपने साहस के लिए जानी जाती थी। यह भी माना जाता है कि इन सभी गणराज्यों को एक साथ लाने में आचार्य चाणक्य का भी बहुत बड़ा योगदान था। इस सभी गणराज्यों ने सिकंदर को काफी नुकसान भी पहुंचाया था जिससे सिकंदर की सेना बेहद डर गई थी।
(झ) उसका उसको क्या दण्ड मिला?
इतिहास में यह लिखा गया कि सिकंदर ने पोरस को हरा दिया था। यदि ऐसा होता तो सिकंदर मगध तक पहुंच जाता और इतिहास कुछ और होता। लेकिन इतिहास लिखने वाले यूनानियों ने सिकंदर की हार को पोरस की हार में बदल दिया।
लगाघाव भारत के पराक्रम की कहानी कह रहा था।
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सिकंदर ने पुरु का राज्य क्यों लोटा दिया?
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