लगभग 100 120 सब में एक मौलिक कथा लिखिए जिसका अंतिम वाक्य आत्मसम्मान सफलता की पहली सीढ़ी है
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मौलिक कथा लिखिए जिसका अंतिम वाक्य आत्मसम्मान सफलता की पहली सीढ़ी है:
एक गाँव में एक गरीब परिवार रहता था | राम लाल वह मेहनत से अपने परिवार का पालन-पोषण करता था | उसकी एक छोटी सी चाय की दुकान थी | वह कभी भी भीख नहीं मांगता था | वह मेहनत से कमाए हुए पैसों से घर चलाता था | उसे अपना आत्मसमान बहुत प्यारा था | वह कम कमाता था पर सर उठा कर जीवन व्यतीत करता था |
गाँव के लोग उसे तरह-तरह की बाते सुनाते थे | उसके बच्चों को कहते थे , इन्हें हमारे घर काम करने भेज दिया कर | तेरे बच्चे जीवन में कुछ नहीं कर सकते | तेरे पास ज्यादा पैसे नहीं है , तू इन्हें ज्यादा पढ़ा-लिखा नहीं पाएगा | यह बाते सुनकर , राम लाल का कभी न तो हिम्मत टूटी न ही तो उसने कभी अपना आत्मसम्मान को खोने दिया | वह लोगों की बातों को अनुसना कर देता थे |
राम लाल का एक पुत्र मेहनत करके अच्छी नौकरी में लग गया | सभी गाँव वाले हैरान रह गए | राम लाल के पुत्र ने सबसे पहले अपने पिता जी के लिए बहुत बड़ी दुकान बनवाई और उसमें तरह-तरह की चीजे रखी | अब वह गाँव में जाना-माना व्यापारी बन गया था | राम लाल ने कभी आत्मसम्मान और हिम्मत टूटने नहीं दी | वह आत्मसम्मान के साथ आगे बढ़ा और आज वह एक सफल व्यापारी है |
आत्मसम्मान सफलता की पहली सीढ़ी है |
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nopesssss Mr u r wrong mera achaa insaan banne ka shauk khtm hua hai thoda meri trh deep jaakr sochiye