लघु कहानी एक माँ के फैसले में सरोज चावला के साथ लेख एकमात्र प्रदाता में अनीता सतपुते के चरित्र की तुलना
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मां एक ऐसा शब्द है जिसका आप किसी से तुलना नहीं कर सकते | मां हमारे जीवन की आधार होती है | मां वह होती है जो कष्ट सहकर सारे तरह के थाने सुनकर हमें दुनिया में लाती है | हमें हमारे कर्तव्य का पालन करना चाहिए | हमें जीना चाहिए मां और बाबा की खुशी के लिए |
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लेखक की मित्र-मंडली ने एक दिन घर बनाने का खेल खेलने का निश्चय किया। तिनकों का छप्पर, दियासलाई की पेटियों के किवाड़, घड़े के मुँह का चूल्हा-चक्की, दीए की कड़ाही और पूजा की आचमनी से कलछी बनाई जाती | पानी, धूल और बालू को मिलाकर ज्योनार तैयार किया जाता | पंगत बिठाई जाती | पंगत के अंत में पिताजी भी जीमने बैठते | उन्हें बैठा देखकर सब हंसने लगते और घरौंदा बिगाड़कर भाग जाते | वे लोटपोट होकर पूछते-फिर कब भोजन होगा भोलानाथ ? इस प्रकार लेखक ने बच्चों के अद्भुत व विचित्र घरौंदे का सजीव चित्रण अंकित किया है।
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