Art, asked by layalsimmi, 8 months ago

लघु कथा
आज शाम से मैंने अपनी छत पर गुलेल और
कुछ कंकर इकट्ठा कर रख लिए था कल सुबह सूरज
निकलने से पहले वहफूलतोड़ने तो aaga उसके सिर
पर उलेल से वार करता।
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Answered by bhatiamona
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यह लघु कथा : चोर कहानी की पंक्तियाँ से ली गई है| यह कहानी दिलीप गोविलकर द्वारा लिखी गई है |

कहानी में लेखक बताते है , एक व्यक्ति रोज फूल तोड़ कर जाता था| पड़ोसी रोज़ परेशान हो जाते थे , कि रोज कोई फूल तोड़ कर लेकर जाता है| एक पड़ोसी कहता है , आज शाम से मैंने अपनी छत पर गुलेल और  कुछ कंकर इकट्ठा कर रख लिए था कल सुबह सूरज  निकलने से पहले वह फूल तोड़ने तो आएगा उसके सिर पर उलेल से वार करूंगा|

आज फूल तोड़ने वाला नहीं आया | रास्ते में भाभीजी ने थोड़ा सीरियस होकर बताया 'भाई साहब वह अब नहीं आएगा, सुबह-सुबह फूलों के साथ वह भगवान के पास पहुंच गया।’ यह सुनकर वह  हैरान रह गया| वह घर गया और उसने फूलों को देखा फूल बहुत अच्छे थे एक दम चमक रहे थे , परंतु फूलों में सुबह की मुस्कुराहट का भाव दिखाई नहीं दे रहा था | सब अलग-अलग सा लग रहा था| ऐसा इसलिए था क्योंकि फूलों को भी रोज मन्दिर जा कर भगवान के पास जाने कर इठलाने का भी मौका मिल जाता था| उस फूल चोर व्यक्ति की मृत्यु के बाद अब ऐसा नहीं होगा| इस बात का दुःख फूलों को हो रहा था|

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