लघु कथा "हार के आगे जीत है"
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इंटरव्यू में फेल हुए थे होंडा
होंडा कंपनी के संस्थापक सोइचिरो होंडा ने कई मोड़ पर असफलता देखी. उन्होंने जब टोयोटा कंपनी में नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया, तो उन्हें असफल घोषित किया गया. वे घोर गरीबी में पले-बढ़े. पिता की साइकिल रिपेयर की छोटी-सी दु कान थी. उन्हें कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली थी. 16 वर्ष की उम्र में वे टोकियो पहुंचे. वहां एक कंपनी में अप्रेंटिसशिप के लिए आवेदन दिया. उम्र एक वर्ष कम थी.
इसलिए कंपनी मालिक के घर में एक साल काम किया. बाद में अप्रेंटिसशिप भी न मिली. फिर निराश हो कर वह गांव पहुंचे. जल्द ही उन्होंने निराशा छोड़ स्कूटर रिपेयरिंग की छोटी दुकान खोली. आगे कुछ ही दिनों में कई पार्ट्स जोड़ कर मोटरसाइकिल बना दी. यह मोटरसाइकिल उस समय की सबसे उम्दा वाहन मानी गयी. इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.