लघुकथा ka samas vigrah aur samas Ka Bhed
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लघु +कथा
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लघुकथा का समास विग्रह-लघु है जो कथा और समास का भेद - बहुव्रीहि समास
बहुव्रीहि समास के बारे में अतिरिक्त जानकारी:
बहुव्रीहि समास की परिभाषा: जिस समास में कोई पद प्रधान न होकर (दिए गए पदों में) किसी अन्य पद की प्रधानता होती है। यह अपने पदों से भिन्न किसी विशेष संज्ञा का विशेषण है, उनको बहुव्रीहि समास कहा जाता है।
बहुव्रीहि समास के उदाहरण:
चतुर्भुज: चार हैं भुजाएं जिसकी
इस वाक्य में कोई भी एक पद प्रधान नहीं है, दोनों पद मिलकर अन्य पद की तरफ इशारा कर रहे हैं। इस वाक्य में दोनों पद मिलकर भगवान विष्णु की तरफ इशारा कर रहे हैं। अतः जिस वाक्य में दोनों पद प्रधान नहीं होते हैं, वहां पर बहुव्रीहि समास होता है। अतः यह उदाहरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।
त्रिलोचन: तीन आँखों वाला
उदाहरण में स्पष्ट रुप से देख सकते हैं कि यहां पर पूर्व पद और उत्तर पद दोनों में से कोई भी प्रधान नहीं है। लेकिन दोनों के मिलने पर तीसरे पद की तरफ संकेत हो रहा है। इन दोनों पद के मिलने पर भगवान शिव की तरफ संकेत किया जा रहा है। अतः यह उदाहरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत रखा जाएगा।
दशानन: दस हैं आनन जिसके
ऊपर दिए गये उदाहरण में देख सकते हैं कि प्रथम पद और उत्तर प्रद दोनों प्रधान नहीं है। दोनों पद मिल कर एक तीसरे पद की तरफ इशारा कर रहे हैं। इन दोनों पद के मिलने पर रावण की तरफ इशारा हो रहा है। अतः यह उदाहरण बहुव्रीहि समास के अंतर्गत आएगा।